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आख़िरकार बंगाल में लागू होगा वक्फ संशोधन कानून , नवान्न ने ज़िलाधिकारियों को भेजा कड़ा निर्देश

कोलकाता। लंबे समय तक विरोध और राजनीतिक जद्दोजहद के बाद अंततः पश्चिम बंगाल सरकार ने वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 मानने का निर्णय ले लिया है। नवान्न ने राज्य के सभी ज़िलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे राज्य की सभी. . .

कोलकाता। लंबे समय तक विरोध और राजनीतिक जद्दोजहद के बाद अंततः पश्चिम बंगाल सरकार ने वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 मानने का निर्णय ले लिया है। नवान्न ने राज्य के सभी ज़िलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे राज्य की सभी वक़्फ़ संपत्तियों (Waqf Properties) का पूरा विवरण निर्धारित समयसीमा के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करें। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, गुरुवार शाम को अल्पसंख्यक विषयक एवं मदरसा शिक्षा विभाग के सचिव पी. बी. सलीम ने सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में पत्र भेजा।

केंद्र का कानून, अब मानने पर मजबूर?

इस वर्ष अप्रैल के शुरुआत में वक़्फ़ संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हुआ, जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया। उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा। राज्यभर में इसका व्यापक विरोध हुआ, कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुए। देश के विभिन्न राज्यों में भी आंदोलन देखने को मिले।

सुप्रीम कोर्ट ने किया था आंशिक स्थगन

वक़्फ़ संशोधन कानून को चुनौती देते हुए कई याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं। हालांकि अदालत ने कानून पर पूर्ण स्थगनादेश देने से इंकार कर दिया। केवल दो धाराओं को लेकर आपत्ति जताते हुए उन्हें अस्थायी रूप से स्थगित रखा गया, लेकिन बाकी कानून लागू है। विशेषज्ञों के अनुसार, यही वजह है कि सभी राज्यों को इस कानून का पालन करना अनिवार्य है।

5 दिसंबर है अंतिम तारीख

कानून के अनुसार, देशभर की सभी पंजीकृत वक़्फ़ संपत्तियों की जानकारी 6 महीने के भीतर केंद्र के पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। यह समयसीमा 5 दिसंबर को समाप्त हो रही है। इसी वजह से राज्य सरकार ने तेजी दिखाते हुए जिलाधिकारियों को तुरंत सभी रिकॉर्ड तैयार कर ‘umeedminority.gov.in’ पोर्टल पर जिला-वार अपलोड करने का निर्देश दिया है।

अब राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती

राज्य में वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़ी फाइलें और मालिकाना विवाद पहले से ही जटिल हैं। ऐसे में 5 दिसंबर तक सभी रिकॉर्ड को व्यवस्थित कर ऑनलाइन अपलोड करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

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