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उपेंद्र कुशवाहा की RLM में कैसा खेल?: पत्नी-बेटा को छोड़ उपेंद्र कुशवाहा के सारे विधायक बदलेंगे पाला? स्पीकर से मिलने के बाद अटकलें तेज

पटना। उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली आरएलएम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी ने बिहार विधानसभा की छह सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से चार सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन उन चार में से तीन. . .

पटना। उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली आरएलएम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी ने बिहार विधानसभा की छह सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से चार सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन उन चार में से तीन विधायक इन दिनों पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। बुधवार को चार में से तीन विधायकों के चुप‑चाप विधानसभा अध्यक्ष से मिलने के बाद बिहार का सियासी तापमान बढ़ गया है। पार्टी पदाधिकारियों के बाद आरएलएम के विधायक भी पार्टी छोड़ेंगे, इस बात की चर्चा अब तेज हो गई है। हालांकि, पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे विधायकों ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है।

4 में से 3 विधानसभा अध्यक्ष से मिलें

बिहार में आरएलएम के चार विधायकों में से एक पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता हैं। स्नेहलता को छोड़कर पार्टी के तीन अन्य विधायक बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार से मिले। विधानसभा अध्यक्ष से मिलने के बाद पार्टी के विधायक दल के नेता माधव आनंद ने इसका एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया है। फोटो में तीनों विधायक—माधव आनंद, आलोक सिंह और रामेश्वर महतो—दिख रहे हैं। इस फोटो में पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी और पार्टी की विधायक स्नेहलता के साथ-साथ उनके मंत्री पुत्र भी नहीं दिखे। हालांकि, माधव आनंद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पार्टी में न कोई नाराजगी है और न ही टूट की कोई संभावना है। इस प्रकार की अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने कहा, “कहीं कोई नाराजगी नहीं है। हम न तो तोड़ने वालों में से हैं और न ही टूटने वालों में से।”

क्यों हो रही चर्चा

पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी और बेटे को छोड़कर तीनों विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष से मिलने पर कई तरह की चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। हालांकि, माधव आनंद ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है। उन्होंने कहा, “जब हम विधानसभा अध्यक्ष से मिल रहे थे, तो पार्टी प्रमुख के बेटे और बिहार सरकार के मंत्री दीपक प्रकाश भी आए और उन्होंने भी स्पीकर से मुलाकात की।” पत्रकारों के सवालों के जवाब में माधव आनंद ने कहा, “पार्टी के निर्णय को सभी को स्वीकार करना चाहिए। व्यक्तिगत रूप से हर किसी की इच्छा होती है कि वह मंत्री बने, मैं भी पढ़ा‑लिखा और अर्थशास्त्री हूँ। इतने वर्षों से मैं पार्टी के साथ हूँ, तो पार्टी मुझपर भरोसा करेगी। लेकिन सब मंत्री नहीं बन सकते, इसलिए मंत्री न बन पाने का कोई अफसोस नहीं है। यहाँ कोई नाराज़गी नहीं है; पार्टी सर्वोपरि है और पार्टी ने जो निर्णय लिया है, हम सब साथ खड़े हैं।”

पार्टी क्यों छोड़कर जाएंगे?

विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार से चार में सिर्फ तीन विधायकों के मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा, “यह महज संयोग है कि हम तीनों एक साथ थे। जब हम मिलने जा रहे थे, तब दीपक प्रकाश और स्नेहलता कुशवाहा नहीं थे। इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकालना चाहिए।” माधव आनंद ने बताया, “जब हम मिलकर बाहर निकल रहे थे, तब दीपक प्रकाश भी तुरंत आए थे; यह सामान्य प्रक्रिया थी। इसका राजनीतिक मायने निकालना उचित नहीं है।” जब पत्रकार ने पार्टी छोड़ने के बारे में सीधा सवाल पूछा, तो माधव आनंद ने जवाब दिया, “हम पार्टी क्यों छोड़ेंगे? हम पूरी तरह एकजुट हैं।

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