काठमांडू: नेपाल में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रम ने देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंका दिया है। महज दो दिनों में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा और सेना के हस्तक्षेप से सुशीला कार्की के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार अस्तित्व में आ गई। लेकिन अब यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ राजनीतिक उथल-पुथल नहीं, बल्कि एक साजिश की बू लिए हुए लग रही है — और इस बार शक की सुई अमेरिका की ओर घूम रही है।
नेपालियों ने देखा “पैटर्न”, उठाया सवाल – क्या फिर से CIA एक्टिव?
स्थानीय लोगों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नेपाल में जो कुछ भी हुआ, वह अचानक नहीं था। इसमें एक खास पैटर्न देखा गया है, जो अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के ऐतिहासिक तौर-तरीकों से मेल खाता है। ‘द संडे गार्जियन’ की एक रिपोर्ट में इसे विस्तार से बताया गया है।
60 के दशक में CIA की मौजूदगी और गुप्त ऑपरेशन
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने 1960 के दशक में नेपाल की जमीन का इस्तेमाल चीन विरोधी अभियानों के लिए किया था।
- CIA ने ‘मस्टैंग गुरिल्ला’ फोर्स को नेपाल में ट्रेनिंग दी थी।
- सैकड़ों तिब्बती लड़ाकों को हथियार दिए गए और उन्हें नेपाली धरती पर युद्ध के लिए तैयार किया गया।
- बाद में अमेरिका ने इन लड़ाकों को छोड़ दिया, जिससे नेपाल को राजनयिक संकट का सामना करना पड़ा।
9/11 के बाद दोबारा अमेरिका की घुसपैठ
करीब तीन दशक के बाद 2000 के दशक में, अमेरिका ने नेपाल में माओवादी विद्रोह को आतंकवाद के दायरे में डालते हुए दोबारा हस्तक्षेप किया।
- हजारों M-16 राइफलें नेपाल भेजी गईं।
- काठमांडू स्थित अमेरिकी दूतावास में डिफेंस कोऑपरेशन ऑफिस खोला गया।
- रॉयल नेपाल आर्मी की ताकत दोगुनी कर दी गई।
इस बार भी वही “साइलेंट इन्फ्लुएंस”?
केपी ओली की सरकार के पतन के पीछे भी लोग ‘बाहरी दखल’ की आशंका जता रहे हैं।
- किसी बड़े नेपाली नेता का आंदोलन में नेतृत्व न करना
- विरोध प्रदर्शनों का अचानक और सुसंगठित रूप लेना
- मीडिया, सेना और पुलिस अधिकारियों के अमेरिकी भूमिका पर खुले बयान
ये सभी बातें इशारा करती हैं कि इस पूरे बदलाव की चाबी शायद वॉशिंगटन में घुमाई गई है।
नेपाल में अमेरिकी हस्तक्षेप के पक्ष में दलीलें
- एक सीनियर पत्रकार का कहना है कि अमेरिका हमेशा से बैकडोर डिप्लोमेसी और पर्दे के पीछे से गेम खेलने में माहिर रहा है।
- कई नए उभरते नेताओं और संगठनों की पृष्ठभूमि अमेरिकी फंडिंग या नेटवर्क से जुड़ी बताई जा रही है।
- एक नेपाली अधिकारी ने कहा है कि अगर नई सरकार ने इजाजत दी, तो विदेशी हस्तक्षेप के सबूत जुटाए जा सकते हैं।
सॉफ्ट रेजीम चेंज’ की पटकथा
नेपाल में बार-बार हो रही राजनीतिक अस्थिरता और इतिहास में दर्ज अमेरिकी गतिविधियों को देखते हुए यह सवाल वाजिब है — क्या वाकई एक और ‘सॉफ्ट रेजीम चेंज’ की पटकथा लिखी गई है?
अभी तक कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं, लेकिन नेपाल के नागरिक और विश्लेषक निश्चित रूप से मानते हैं कि इस बार भी खेल किसी और का है, मैदान नेपाल का।