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गोरखालैंड’ का जिन्न फिर आ सकता है बोतल से बाहर, अपनी खोयी जमीन वापस हथियाने में जुटे बिमल गुरुंग

सिलीगुड़ी । एक बार फिर से अलग राज्य ‘गोरखालैंड ’ का मुद्दा सुर्खियों में आ सकता है। इसके पीछे कारण है कि पहाड़ पर राजनीतिक रूप से हाशिये पर चल रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) सुप्रीमो बिमल गुरुंग एक बार. . .

सिलीगुड़ी । एक बार फिर से अलग राज्य ‘गोरखालैंड ’ का मुद्दा सुर्खियों में आ सकता है। इसके पीछे कारण है कि पहाड़ पर राजनीतिक रूप से हाशिये पर चल रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) सुप्रीमो बिमल गुरुंग एक बार फिर अलग गोरखालैंड राज्य का मुद्दा उछालकर अपनी खोयी जमीन वापस हथियाने की जुगत में दिख रहे हैं।
मीडिया से बातचीत में बिमल गुरुंग के कहा है कि राजधानी दिल्ली में दिसंबर में गोरखा नेताओं की एक अहम बैठक होगी। उस बैठक में अलग राज्य गोरखालैंड के मुद्दे पर फैसला लिया जाएगा। सिलीगुड़ी में मीडिया से मुखातिब मोर्चा सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने कहा कि, ‘पहाड़ समस्या के समाधान के लिए जो पार्टी आगे आएगी, उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में समर्थन दिया जाएगा।
जहां तक पहाड़ समस्या के समाधान की बात है वह हमेशा से अलग राज्य गोरखालैंड का समर्थक रहे है। इसके लिए उन्होंने लबें समय तक आंदोलन भी किया है। गोरखालैंड प्राप्ति के लिए ही उन्होंने भाजपा से हाथ मिलाया था। मगर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के द्वारा गोरखालैंड पर कोई कदम नहीं उठाने के कारण उससे नाता तोड़ लिया। इसके बाद 2021 के विधानसभा चुनाव में मोर्चा तृणमूल के साथ गठबंधन किया था। बिमल गुरुंग ने आरोप लगाया राज्य सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नजर इस बात पर टिकी है कि अगले लोकसभा चुनाव में बिमल गुरुंग की पार्टी किस तरफ जाएगी ।