नई दिल्ली। मंगलवार देर रात राजस्थान में जयपुर-अजमेर राजमार्ग पर एक बड़ा हादसा हो गया। नेशनल हाइवे पर एलपीजी सिलेंडर ले जा रहे ट्रक की एक टैंकर से भिड़ंत हो गई।
टक्कर इतनी जोरदार रही कि ट्रक में आग लग गई, जिसके बाद ट्रक में रखे एक के बाद एक 200 सिलेंडर फट गए। बताया जाता है कि विस्फोट इतना भयानक रहा कि विस्फोट कई किलोमीटर दूर से दिखाई और सुनाई दे रहे। इस घटना में दो से तीन लोगों के बुरी तरीके से जख्मी हो गए। हादसे में केमिकल टैंकर का ड्राइवर मौके पर ही जिंदा जल गया, जबकि ट्रक चालक बाल-बाल बचा। घटना रात करीब 10 बजे की है। सिलेंडरों से भरे ट्रक में कुल 330 सिलेंडर लदे हुए थे।
- कैसे हुआ ये हादसा?
बताया जा रहा है कि ट्रक में आग लगने के बाद करीब 2 घंटे तक सिलेंडर फटते रहे। इसके कारण आसपास के लोगों में दहशत फैल गई। दमकल की कई गाड़ियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। बताया जा रहा है कि ट्रक में 250 से अधिक सिलेंडर रखे गए थे।
वहीं, इस मामले में कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर आरटीओ की चेंकिंग चल रही थी। इसी चेंकिग से बचने के लिए अचानक टैंकर ड्राइवर ने गाड़ी ढाबे की तरफ मोड़ दी। इसके बाद टैंकर सिंलेंडर से भरे ट्रक में जा टकराया और ये भीषण सड़क हादसा हो गया।
ट्रैफिक डायवर्जन से बढ़ी मुश्किलें
हादसे के कारण जयपुर-अजमेर मार्ग पूरी तरह जाम हो गया। ट्रैफिक दबाव कम करने के लिए पुलिस ने मार्ग डायवर्ट किया। अजमेर से जयपुर की ओर आने वाले वाहनों को किशनगढ़ से रूपनगढ़ होकर भेजा गया।
इस वजह से ड्राइवरों को 15 किलोमीटर ज्यादा दूरी तय करनी पड़ी। वहीं, जयपुर से अजमेर जाने वाले वाहनों को 200 फीट बाइपास से टोंक रोड की ओर मोड़ दिया गया। हाइवे को रातभर बंद रखने के बाद बुधवार सुबह करीब 4.30 बजे खोला गया।
एसएमएस अस्पताल को किया गया अलर्ट
हादसे की सूचना मिलते ही एसएमएस अस्पताल को अलर्ट मोड पर रखा गया। नव नियुक्त अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी ने बताया कि आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को बुलाया गया। प्लास्टिक सर्जरी विभाग सहित इमरजेंसी और आईसीयू बेड आरक्षित रखे गए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के करीब दो घंटे तक मौके पर न तो पुलिस पहुंची और न ही दमकल। यदि शुरुआती समय में आग पर काबू पाया जाता तो इतना बड़ा नुकसान टल सकता था। घटना के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है और ग्रामीण अब भी हादसे की भयावहता से उबर नहीं पाए हैं।
यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि हाईवे पर खतरनाक रसायनों और गैस सिलेंडरों से भरे वाहनों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। यदि तत्काल राहत और बचाव के इंतजाम होते तो शायद जान और माल का इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।