कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज मुकुल राय के विधायक पद को रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। लंबे समय से चल रहे इस विवाद में न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की डिविजन बेंच ने यह निर्णय दिया। अदालत ने कहा कि मुकुल राय ने दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया है, इसलिए उनका विधायक पद अब मान्य नहीं रहेगा।
मामले की जड़ 2021 के विधानसभा चुनावों से जुड़ी है। मुकुल राय ने उस समय भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन 2022 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में “घर वापसी” की। इसी के बाद भाजपा ने उनके खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की थी।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और अंबिका राय ने मुकुल के खिलाफ याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि एक पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद मुकुल राय का दूसरी पार्टी में शामिल होना संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल कानून का उल्लंघन है।
पहले विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने फैसला दिया था कि मुकुल अभी भी भाजपा के ही सदस्य हैं। इसी फैसले को शुभेंदु अधिकारी ने अदालत में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट में भेजा था, और अब हाईकोर्ट ने अध्यक्ष के निर्णय को भी खारिज कर दिया है।
साथ ही अदालत ने यह भी माना कि मुकुल राय को विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया जाना अनुचित था। हालांकि, मुकुल पहले ही इस पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
इस फैसले के साथ ही मुकुल राय का विधायक पद खत्म हो गया है, और यह पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।