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दार्जिलिंग की डीएम प्रीति गोयल जब एक महिला के लिए असल जिंदगी में बन गई थीं ‘बजरंगी भाईजान’, 50 साल के बाद महिला को मिलाया उसके परिवार से

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सिलीगुड़ी। आपने फिल्म बजरंगी भाईजान तो जरूर देखी होगी, जिसमें हीरो अपने परिवार से बिछड़ी एक बच्ची को तमाम मुश्किलों को पार करते हुए उसके परिवार से मिलाता है। बजरंगी भाईजान तो सिर्फ एक फिल्म थी, लेकिन असल जिंदगी में भी कभी-कभी ऐसा होता है, जब कोई किसी के लिए ‘बजरंगी भाईजान’ बन जाता है
क्या आपको पता है दार्जिलिंग की ज़िलाधिकारी आईएएस प्रीति गोयल भी एक परिवार के लिए वास्तविक जीवन में ‘बजरंगी भाईजान’ बन गई थीं। उन्होंने एक महिला को उसके परिवार के सदस्यों से अलग होने के 50 साल के लम्बे अंतराल के बाद मिलवाया था ।
यह असली कहानी उस समय शुरू होती है, जब प्रीति गोयल आईएएस नहीं बनीं थी। जहां पर प्रीति रहती थीं, वहां उन्होंने अपनी एक पड़ोसी अनीता से उसकी आपबीती सूनी थी। अनीता ने बताया था कि उसकी शादी 1967 में नागालैंड सेना के एक अधिकारी से हुई और थी और शादी के बाद वह पंजाब चली गई। अनीता अंगामी नागा जनजाति से है और जब उसकी शादी हुई थी, तब वह केवल 14 साल की थी।
1967 में उनकी शादी सैन्य अधिकारी वकील चंद से हुई थी, जो उस समय नागालैंड में तैनात थे। 1971 में अनीता अपने पती के साथ पंजाब आ गई। उसके बाद वह कभी नागालैंड वापस नहीं गईं। सेवानिवृत्ति के बाद अनीता के पति ने एक छोटा कपड़े का व्यवसाय शुरू किया। लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मृत्यु हो गई और अनीता बहुत अकेली हो गई। पति के जाने के बाद अनिता को अपने परिवार की याद सताने लगी, जो नागालैंड में रहते थे। हालाँकि, उसे केवल अपने पिता का नाम याद था। साथ ही उसे अपने घर के पास एक सिनेमा हॉल की धुंधली याद थी। अनीता के दो बेटे हैं, जिन्होंने अपने परिवार का पता लगाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन असफल रहे। प्रीति, जो उस समय अनिता की पड़ोसी थी, बचपन से ही कई बार उसकी कहानियां सुन चुकी थीं।
2013 में प्रीति गोयल आईएएस अधिकारी बनी और पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में उस समय तत्कालीन सब डिविजनल ऑफिसर (एसडीओ) के पोस्ट पर उनकी नियुक्ति हुई। प्रीति गोयल हुगली जिले के आरामबाग में तत्कालीन एसडीओ के रूप में तैनात थी, उस समय भी उनके दिमाग में अनिता की कहानी घूम रही थी और वह उसकी मदद करने का रास्ता खोजने की कोशिश कर रही थीं। जानकारी के मुताबिक अनीता के सपने को साकार करने और उसे उसके परिवार के सदस्यों से मिलाने के लिए प्रीति ने अपना मिशन जारी रखे हुए था।
दो साल की असफल कोशिशों के बाद, आख़िरकार प्रीति 2016 में अनीता के परिवार के सदस्यों तक पहुंचने में सफल रहीं। हालांकि उनको यह सफलता ऐसे ही नहीं मिली, एक आईएएस अधिकारी होने के नाते उन्होंने अनीता के परिवार को ढूंढने के लिए अपने नेटवर्क, सभी संसाधनों और संपर्कों का उपयोग किया। पहली सफलता तब मिली जब प्रीति का संपर्क अंगामी नागा जनजाति के पुलिस प्रभारी से हुआ। पुलिस अधिकारी से संपर्क होने के बाद उन्होंने अनीता के परिवार के ढूंढ निकला। इसके बाद अनीता और उसके परिवार के सदस्यों के पहले फोन से बात करायी गई और फिर उसके बाद वीडियो कॉल की व्यवस्था की गई ।
जब अनिता ने 50 साल बाद अपने परिवार से बात की तो उसके आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे। फिर किसी तरह वह अपने आप को संभाली और अपने परिवार से बात की। अंततः अनीता ने अपने परिवार के साथ रहने के लिए नागालैंड लौटने का फैसला किया। इस प्रकार आईएएस प्रीति गोयल का प्रयास सफल हुआ। इसलिए अनीता की पोती कामिनी सिंगला प्रीति को अपनी असल जिंदगी का ‘बजरंगी भाईजान’ मानती है।
इस संबंध में दार्जिलिंग कि ज़िलाधिकारी प्रीति गोयल ने बताया कि उन्हें इस बात कि ख़ुशी है कि उन्होंने अनीता को उसके परिवार से मिलवाने में सफल रही.


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