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दार्जिलिंग में गोरखलैंड राज्य की मांग हुई तेज, जीटीए भंग करने को लेकर बिमल गुरुंग लिखेंगे पत्र

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दार्जीलिंग। उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग में फिर अलग गोरखालैंड राज्य की मांग तेज होने लगी है। लोकसभा चुनाव से पहले जहां सभी पार्टियां पहाड़ राजनीति पर नजरें गड़ाए हुए हैं। वहीं बिमल गुरुंग, विनय तमांग और अजय एडवर्ड ने भारतीय ‘गोरखालैंड संघर्ष समिति’ नामक एक नया मंच बनाया है। गुरुंग ने जीटीए को भंग करने की मांग करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखने की बात कही है। बता दें कि दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग बहुत लंबे समय से चल रही है। सुभाष घीसिंग के बाद बिमल गुरुंग ने इस मांग को उठाई थी, लेकिन कुछ दिनों से यह मांग दब गई थी।
गुरुंग ने कहा कि इस संबंध में केंद्र और राज्य को पत्र भेजा जाएगा। हालांकि किसी भी पार्टी ने सीधे तौर पर ‘गोरखालैंड’ की बात नहीं की है, लेकिन राजनीतिक हलकों के मुताबिक जीटीए भंग करने पर अगले चरण में ‘गोरखालैंड’ की मांग सामने आएगी।
‘गोरखालैंड संघर्ष समिति’ ने जीटीए भंग करने की मांग की
‘गोरखालैंड संघर्ष समिति’ की नई कमेटी की बैठक सोमवार को कालिम्पोंग में हुई। उस बैठक में गुरुंग, तमांग और एडवर्ड वहां मौजूद थे। वहां से बिमल गुरुंग ने कहा कि अगले दो दिनों के भीतर राज्य और केंद्र को पत्र भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र भेजा जाएगा। उनका दावा है कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के साथ जीटीए समझौता हुआ था। जब वे जीटीए नहीं चला रहे हैं तो यह सौदा क्यों करें! 2011 में ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद, केंद्र, राज्य और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बीच जीटीए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। उसके बाद कई बार समीकरण काफी बदल चुके हैं। फिर भी, अलग-अलग समय पर, अलग-अलग राज्यों की मांग उठती रही है।


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