नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण विस्फोट की जांच में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने बड़ा खुलासा किया है। एजेंसी ने इस मामले में एक अहम आरोपी को गिरफ्तार किया – कश्मीर का रहने वाला और पेशे से प्लंबर आमिर राशिद अली है।
उमर को पहली बार ‘सुसाइड बॉम्बर’ बताया गया
NIA ने पहली बार आधिकारिक रूप से उस कार के ड्राइवर डॉ. उमर उन नबी को “सुसाइड बॉम्बर” करार दिया है – वही डॉक्टर जिसने कार चलाते हुए धमाका किया, जिसमें कुल 11 लोगों की मौत हुई थी। एजेंसी के अनुसार, उमर Pulwama जिले का निवासी था और हरियाणा की Al-Falah University में जनरल मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी काम कर रहा था।
कौन है आमिर राशिद अली?
NIA की जांच के मुताबिक, मुख्य आरोपी आमिर राशिद अली कश्मीर का रहने वाला है और प्लंबर का काम करता है जिसे 16 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली आया और धमाके में इस्तेमाल की जाने वाली कार खरीदने में मदद की थी। उसने उमर के साथ मिलकर पूरी योजना को आगे बढ़ाया। वह आतंकियों की “अर्बन सपोर्ट सेल” का हिस्सा बताया गया है। एजेंसी के अनुसार, यह मॉड्यूल केवल दिल्ली में ही नहीं, बल्कि कश्मीर, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैला हुआ था। इस साजिश ने एक नहीं बल्कि कई गाड़ियाँ नेटवर्क में थीं। जांच के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने तीन और गाड़ियाँ जब्त कीं जिसमं सिल्वर मारुति ब्रेज़ा, रेड फोर्ड ईकोस्पोर्ट,मारुति स्विफ्ट डिज़ायर शामिल थीं और ये सभी गाड़ियाँ मॉड्यूल के भीतर लॉजिस्टिक्स और मूवमेंट चेन का हिस्सा थीं।
कैसे हुआ था धमाका ?
10 नवंबर की शाम 6:52 बजे, दिल्ली के नेताजी सुभाष मार्ग पर लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास धीरे-धीरे चल रही i20 अचानक जोरदार धमाके से फट गई। यह कार कई बार बिक चुकी थी, CNG किट लगी थी और नंबर HR26CE7674 था। विस्फोट इतना तीव्र था कि 11 लोग मौके पर ही जलकर खाक हो गए। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई और दिल्ली पुलिस व केंद्रीय एजेंसियाँ तुरंत सक्रिय हो गईं। एजेंसी के बयान के अनुसार फ़ोरेंसिक जांच में पुष्टि हो गई कि उमर उन नबी ही कार चला रहा था। उमर की एक और गाड़ी भी जब्त की गई है। अब तक 73 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है जिसमें एजेंसी यह भी पता लगाने में जुटी है कि उमर ने कार में IED कैसे लगाया, इसे किसने मॉडिफाई किया और साज़िश की अगुवाई कौन कर रहा था।
धमाके का ‘फरीदाबाद कनेक्शन’
यह मॉड्यूल वही है जिसके तार हाल ही में हरियाणा के फरीदाबाद से बरामद 2,900 किलो विस्फोटक से जुड़े हैं। उमर भी उसी नेटवर्क का हिस्सा था और माना जा रहा है कि उसने उसी तरह का विस्फोट करने की कोशिश की जैसा 2019 पुलवामा अटैक के दौरान हुआ था। जांच अधिकारियों के मुताबिक, कई टीमों को अलग-अलग राज्यों में भेजा गया है। फंडिंग, विदेशी हैंडलर्स, और अन्य जुड़े लोगों की पहचान पर काम किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने भी एक अलग FIR दर्ज कर, इस सफेदपोश आतंकी नेटवर्क में शामिल सभी लोगों की भूमिका जांचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।