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नेपाल में संकट, कोलकाता में आंसू: सोनागाछी की नेपाली यौनकर्मियों की बेबसी

कोलकाता। नेपाल में जारी राजनीतिक अशांति और हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आंच अब कोलकाता के रेड लाइट एरिया सोनागाछी तक पहुंच गई है। यहां की नेपाली मूल की यौनकर्मी महिलाओं की आंखों में डर और दिल में बेचैनी है—क्योंकि न. . .

कोलकाता। नेपाल में जारी राजनीतिक अशांति और हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आंच अब कोलकाता के रेड लाइट एरिया सोनागाछी तक पहुंच गई है। यहां की नेपाली मूल की यौनकर्मी महिलाओं की आंखों में डर और दिल में बेचैनी है—क्योंकि न तो वे अपने परिवार से संपर्क कर पा रही हैं, न ही उन्हें कोई रास्ता दिख रहा है कि इस आपदा से कैसे निपटें।
नेपाल में उथल-पुथल, सोनागाछी में बेचैनी
नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के बाद शुरू हुआ जनविरोध अब हिंसक विद्रोह में बदल गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद स्थिति और भी विस्फोटक हो गई। संसद में तोड़फोड़, नेताओं के घरों में आगजनी और सड़क पर हिंसा—इन सबने देश को अराजकता के मुहाने पर ला खड़ा किया है। इसके चलते देशभर में प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिए गए हैं, कर्फ्यू भी जारी है, सीमाएं सील हैं और मोबाइल नेटवर्क ठप पड़ चुका है।
संपर्क नहीं, सुरक्षा नहीं, पैसे नहीं
सोनागाछी की यौनकर्मी महिलाएं, जो दशकों से अपने परिवार के लिए यहां से छोटी-छोटी रकम भेजती थीं, अब पूरी तरह से अलग-थलग महसूस कर रही हैं। कालीघाट से लेकर हावड़ा और हुगली तक फैले रेड-लाइट इलाकों में नेपाली मूल की महिलाएं भारी तनाव में हैं।
पूर्वी नेपाल की एक महिला ने भावुक होते हुए कहा, “तीन दिन हो गए हैं, मम्मी से बात नहीं हो पाई है। हर बार कॉल करने की कोशिश करती हूं, नेटवर्क डाउन बता देता है।” एक अन्य महिला ने आंखों में आंसू लिए कहा, “मैं हर महीने अपने बेटों को पैसे भेजती हूं, लेकिन इस बार कुछ नहीं कर पाई। अगर पैसे नहीं पहुंचे तो वे खाएंगे क्या?”
“हम न वहां जा सकते हैं, न यहां कुछ कर सकते हैं”
नेपाल की सीमाएं बंद होने और उड़ानें रद्द होने के चलते महिलाएं घर भी नहीं लौट सकतीं। उनकी यह बेबसी अब गहराती जा रही है।
महाश्वेता मुखोपाध्याय, जो ‘आमरा पदातिक’ नामक संस्था के साथ इन सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के लिए काम करती हैं, ने कहा, “इन महिलाओं का परेशान होना बिलकुल स्वाभाविक है। न तो वे अपने घर संपर्क कर पा रही हैं और न ही यह जान पा रही हैं कि उनके परिवार सुरक्षित हैं या नहीं।”
करीब 200 नेपाली महिलाएं संकट में
सोनागाछी में वर्तमान में नेपाली मूल की लगभग 200 यौनकर्मी हैं। हालांकि बीते वर्षों में उनकी संख्या घटी है, लेकिन जो अब भी यहां हैं, वे सबसे अधिक असुरक्षित और हाशिए पर हैं। सीमा पर बढ़ी निगरानी, तस्करी के बदलते तरीकों और सरकारी कार्रवाई के बावजूद, ये महिलाएं आज भी अपने देश और अपनों से दूर, दर्द और अनिश्चितता के बीच जीने को मजबूर हैं।
राह तलाशने की कोशिश
मुखोपाध्याय ने बताया कि NGO कुछ उपायों पर काम कर रहा है ताकि इन महिलाओं को कम से कम अपने परिवारों से बात करने और कुछ आर्थिक मदद भेजने का रास्ता मिल सके।
नेपाल की राजनीति की उथल-पुथल सिर्फ काठमांडू या पोखरा तक सीमित नहीं रही—इसने कोलकाता की गलियों में रह रहीं उन महिलाओं की जिंदगी भी हिला दी है, जिनका जीवन पहले ही संघर्षों से भरा है। अब उनका संघर्ष दोहरी हो गया है—अपने परिवार के लिए चिंता और अपनी खुद की असहायता से जूझने की पीड़ा।

 
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