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पाकिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों को भारत ने भेजा न्योता, मोदी सरकार का बड़ा कदम

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नई दिल्ली। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अल-अरबिया न्यूज चैनल को कहा था, कि भारत के साथ तीन युद्ध लड़ने के बाद पाकिस्तान सबक सीख चुका है और अब शांति से रहना चाहता है। यानि, शहबाज शरीफ ने भारत की तरफ एक कदम बढ़ाने के के संकेत दिए थे और अब भारत ने भी दूसरा कदम बढ़ा दिया है। नई दिल्ली ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री को न्योता भेजा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गोवा में होने वाली इस बैठक का निमंत्रण इस्लामाबाद भेजा गया है।
बिलावल को भारत आने का न्योता
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के माध्यम से अपने पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी को बैठक के लिया न्योता भेजा है, जो मई महीने के पहले हफ्ते में गोवा में आयोजित होने वाला है। एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए अभी जो तारीखें निकलकर सामने आ रही हैं, वो 4 और 5 मई की हैं और अगर पाकिस्तान न्योता स्वीकार करता है, तो पिछले 12 सालों में ये पहला मौका होगा, जब इस तरह की ये कोई पहली यात्रा होगी। इससे पहले हिना रब्बानी खार जुलाई 2011 में भारत आने वाली अंतिम पाकिस्तानी विदेश मंत्री थीं।
भारत में होगा एससीओ सम्मेलन
शंघाई सहयोग संगठन में भारत और पाकिस्तान के अलावा चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इसी तरह का निमंत्रण मध्य एशियाई देशों के साथ चीन और रूस के विदेश मंत्रियों को भी भेजा गया है। लेकिन, द्विपक्षीय संबंधों में अब तक के सबसे निचले स्तर को देखते हुए, पाकिस्तान के विदेश मंत्री को भारत का निमंत्रण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, कि “अपनी ‘पड़ोसी पहले नीति’ को ध्यान में रखते हुए, भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है। भारत की हमेशा से स्थिति यही रही है, कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी मुद्दा हो, तो उसे आतंकवाद और हिंसा से मुक्त वातावरण में द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। ऐसा अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है”। भारतीय अधिकारी ने कहा, कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा और भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के सभी प्रयासों से निपटने के लिए दृढ़ और निर्णायक कदम उठाएगा।
तनावपूर्ण चल रहे हैं संबंध
ये भी काफी दिलचस्प है, कि चीन और रूस के विदेश मंत्रियों को भी भारत में होने वाली जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भारत में आमंत्रित किया गया है, जो 1 और 2 मार्च को होने वाला है और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के नय विदेश मंत्री किन गैंग अगले कुछ महीनों में दो बार भारत आने वाले हैं। वहीं, पिछले आठ वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध खराब हुए हैं। अगस्त 2015 में भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री सरताज अजीज को निमंत्रण दिया था। लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने अजीज को भारत में हुर्रियत से मिलने से परहेज करने के लिए कहा था, जिसके बाद वो भारत नहीं आए थे।
सुषमा स्वराज गई थीं पाकिस्तान
पूर्व भारतीय विदेश मंत्री सुषणा स्वराज पाकिस्तान की यात्रा करने वाली आखिरी विदेश मंत्री थीं, जिन्होंने दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था। इसके बाद, पठानकोट (जनवरी 2016), उरी (सितंबर 2016) और पुलवामा (फरवरी 2019) में हुए आतंकवादी हमलों से द्विपक्षीय संबंध बिगड़ गए। वहीं, भारत ने जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हमेशा के लिए खत्म कर दिया, तो फिर दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक संबंध भी रूक गये। वहीं, पाकिस्तान ने भारक के साथ व्यापार को भी सस्पेंड कर दिया और सीमा पार बस और ट्रेन सेवाओं पर रोक लगा दी गई। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सख्त रुख अपनाने और आतंकवाद पर सख्त रूख होने की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच डिप्लोमेटिक संबंध शुरू नहीं हो पाया।
क्या शहबाज सरकार में सुधरेंगे संबंध?
पाकिस्तान में जब नवाज शरीफ प्रधानमंत्री थे, उस वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार अलग अलग स्तर पर बातचीत की गई थी और अभी उनके भाई शहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं, लिहाजा पहले से ही इस बात की उम्मीद लगाई जा रही थी, कि संबंधों में फिर से गर्माहट आ सकती है। हालांकि, तनाव के बाद भी पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच सीमा पर सीजफायर समझौता हुआ है, तो दोनों देशों के बीच धार्मिक तीर्थयात्राएं भी बढ़ी हैं, वहीं सिंधु जल संधि का भी पालन किया गया है। हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार भारतीय प्रधानमंत्री को लेकर अनर्गल टिप्पणियां करते रहे, जिससे दोनों देशों के बीच की दूरियां बढ़ती रहीं। पिछले साल दिसंबर में, जयशंकर ने पाकिस्तान को “आतंकवाद का केंद्र” बताया था, तो भुट्टो ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने “असभ्य” और “पाकिस्तान के लिए भी एक नया निम्न स्तर” कहा।
क्या संबंधों में सुधार संभव है?
इस महीने की शुरुआत में शहबाज शरीफ ने “कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दों” पर मोदी के साथ “गंभीर बातचीत” करने का आह्वान किया था। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है, कि पिछले दिनों शहबाज शरीफ का बातचीत का आह्लान और पाकिस्तानी आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को ग्लोबल आतंकी घोषित करने को लेकर चीन की टेक्निकल बिड हटाए जाने के भारत ने सकारात्मक तौर पर लिया है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है, कि ये कोई द्विपक्षीय जुड़ाव नहीं है, लेकिन दोनों देश बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे के साथ जुड़ रहे हैं और उन्होंने इसके उदाहरण के तौर पर बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में क्रिकेट मैचों का हवाला दिया गया है।


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