इस्लामाबाद/नई दिल्ली – पाकिस्तान लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह दावा करता रहा है कि उसकी धरती पर आतंकवाद को कोई सरकारी समर्थन प्राप्त नहीं है। लेकिन जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष कमांडर इलियास कश्मीरी के हालिया कबूलनामे ने इन दावों की सरेआम पोल खोल दी है।
इलियास कश्मीरी ने एक वीडियो बयान में स्वीकार किया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मारे गए आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना के अफसरों को भेजने का आदेश सीधे सेना प्रमुख (Army Chief) द्वारा दिया गया था। यह खुलासा पाकिस्तान में आतंकी संगठनों और सेना के गहरे गठजोड़ को उजागर करता है।
🇵🇰 पाकिस्तानी सेना की भागीदारी की पुष्टि
इलियास कश्मीरी के अनुसार, बहावलपुर स्थित जैश कैंप में मारे गए आतंकियों के नमाज़-ए-जनाज़ा में पाकिस्तानी जनरल स्तर के अफसर शामिल हुए थे।
- यह आदेश पाकिस्तानी सेना के जीएचक्यू (GHQ) से सीधे जारी किया गया था।
- मारी गई आतंकियों की अंतिम क्रिया में मुरीदके (लाहौर के पास स्थित लश्कर-ए-तैयबा के गढ़) से भी आतंकी और आर्मी अफसर मौजूद थे।
इससे पहले जनाजे में पाकिस्तानी सेना के लोगों की मौजूदगी की तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं, लेकिन अब इस पर एक खुद आतंकी के कबूलनामे से मोहर लग गई है।
🧩 ISPR ने सच्चाई छिपाने की कोशिश की
कश्मीरी ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग डीजी ISPR ने इस पूरी घटना को दबाने और जैश तथा सेना के गठजोड़ को छिपाने की भरपूर कोशिश की थी।
- परंतु यह रणनीति अब नाकाम होती दिख रही है, क्योंकि अब आतंकी खुद सामने आकर इन रिश्तों की पुष्टि कर रहे हैं।
🧠 मसूद अजहर की भूमिका पर भी खुलासा
इलियास कश्मीरी ने अपने बयान में जैश सरगना मसूद अजहर की भूमिका को भी स्पष्ट किया है:
- उसने कहा कि अजहर ने भारत में दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हमलों की योजना बनाई थी।
- अजहर को 1999 के कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान भारत द्वारा रिहा किया गया था।
- रिहाई के बाद उसने पाकिस्तान में बैठकर भारत के खिलाफ हमलों का नेटवर्क तैयार किया।
कश्मीरी ने यह भी बताया कि अजहर का ठिकाना पाकिस्तान के बकलोत क्षेत्र में था, जिसे 2019 के भारतीय हवाई हमलों (Balakot Air Strikes) में निशाना बनाया गया था।
🌐 पाकिस्तानी दावों की धज्जियां
इस कबूलनामे से पाकिस्तान के उन सभी बयानों की बखिया उधड़ गई है, जिनमें वह कहता रहा है कि:
- पाकिस्तान में कोई आतंकी संगठन सक्रिय नहीं हैं
- पाकिस्तान की सेना या सरकार का किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है
अब जबकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर ने खुद यह बात स्वीकार कर ली है, अंतरराष्ट्रीय बिरादरी पर इस मुद्दे पर पाकिस्तान से और सख्ती से जवाब मांगने का दबाव बढ़ सकता है।
🔚 निष्कर्ष: कबूलनामे ने खोली पाकिस्तान की पोल
- इलियास कश्मीरी के इस बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों का गठजोड़ अब कोई ‘संदेह’ नहीं, बल्कि ‘साबित सच्चाई’ है।
- भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान की भूमिका अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और ज़्यादा कठघरे में आ सकती है।
- साथ ही, यह मामला पाकिस्तान की जवाबदेही तय करने के लिए UN, FATF और अन्य वैश्विक संस्थाओं के लिए एक नया आधार बन सकता है।