लेस्टर (यूके)। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के 12 जून को हुए दर्दनाक हादसे के साढ़े चार महीने बाद इस प्लेन के एकमात्र जीवित बचे यात्री 39 साल विश्वास कुमार रमेश आज भी ठीक नहीं हैं। वह आर्थिक तंगी झेल रहे हैं और मानसिक रूप से गहरे सदमे में हैं। विश्वशकुमार विमान की सीट 11A (इमरजेंसी एग्जिट के पास) पर बैठे थे और जलते मलबे से किसी तरह बचकर बाहर निकल पाए। हादसे में उनके भाई अजयकुमार (सीट 11J) समेत 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें230 यात्री और 12 क्रू मेंबर शामिल थे।
‘मैं उसी पल में फंसा हुआ हूं…’,
हादसे के बाद रमेश जलते हुए मलबे से किसी तरह बचकर बाहर निकले, लेकिन उस दिन की यादें अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ती हैं। वे कहते हैं, ‘मुझे अब भी लगता है कि मैं उसी पल में फंसा हुआ हूं। रातों को नींद नहीं आती। सबसे ज्यादा यही सवाल सताता है जब मेरा भाई नहीं बचा, तो मैं क्यों बच गया ?’ हादसे ने ना केवल उनकी फिजिकल कंडीशन बल्कि मानसिक स्थिति को भी हिलाकर रख दिया है। 48 साल के रमेश अब इंग्लैंड के लीसेस्टर में रहते हैं, लेकिन कहते हैं कि उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। रमेश ने बताया, ‘मैं ज्यादातर समय अपने कमरे में अकेला बैठा रहता हूं, न अपनी पत्नी से बात करता हूं, न बेटे से. दिमाग से वो रात निकलती ही नहीं है। ‘ रमेश की मानें तो उनके शरीर में अब भी दर्द रहता है, जिसका कारण उनके पैरों, कंधों और पीठ पर लगी चोट हैं, लेकिन सबसे बड़ा दर्द उनके अंदर है। रमेश कहते हैं, ‘मेरा भाई मेरा सहारा था. उसने हमेशा मेरा साथ दिया। अब मैं बिल्कुल अकेला हू। ‘ डॉक्टरों ने उन्हें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) बताया है, लेकिन घर लौटने के बाद से उन्हें ठीक से इलाज नहीं मिला।
ब्रिटेन में इलाज मिलने में हो रही मुश्किल भारत में शुरुआती इलाज के बाद विश्वास कुमार 15 सितंबर को ब्रिटेन लौट आए थे, लेकिन अब तक उन्हें नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) से साइकियाट्रिक ट्रीटमेंट नहीं मिला है। वह चलने-फिरने में मुश्किल महसूस करते हैं, गाड़ी नहीं चला पाते और ज्यादातर समय लेस्टर स्थित अपने घर में अकेले पड़े रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मानसिक रूप से मैं पूरी तरह टूट चुका हूं।’
मछली पालन का फैमिली बिजनेस हुआ बर्बाद
विश्वास कुमार गुजरात के समीप दीव में अपने भाई के साथ मिलकर मछली पालन का फैमिली बिजनेस करते थे। लेकिन अब यह बिजनेस लगभग बंद हो चुका है, जिससे उनकी आमदनी रुक गई है। हादसे के बाद उनकी पत्नी भारत गईं, जिसके कारण यूके सरकार की यूनिवर्सल क्रेडिट सहायता भी रुक गई। एयर इंडिया ने उन्हें अस्थायी तौर पर 21,500 पाउंड यानी करीब ₹25 लाख देने की पेशकश की है, जिसे अंतिम मुआवजे में समायोजित किया जाएगा। लेकिन विश्वास कुमार का कहना है कि यह रकम यूके की महंगाई के हिसाब से और उनके इलाज के खर्च के मुकाबले बहुत कम है।
फिर से हवाई जहाज पर चढ़ना कैसा लगता है?
ब्रिटेन लौटना भी विश्वास कुमार के लिए किसी जंग से कम नहीं था। उन्होंने कहा, ‘प्लेन पर चढ़ना बहुत मुश्किल था। मैं एयर इंडिया से नहीं आय। दूसरी एयरलाइन ली। बहुत डर लग रहा था। आंखें बंद कीं और भगवान से प्रार्थना की।’ वह बताते हैं कि अब वे अपनी पत्नी और बेटे से भी ज्यादा बात नहीं करते। कहा, ‘मैं बस अपने कमरे में अकेला बैठा रहता हूं। हादसे की यादें बार-बार दिमाग में घूमती रहती हैं।’
घर से नहीं निकलता, गाड़ी नहीं चला पाता
विश्वास कुमार का चार साल का बेटा अब भी पूरी तरह नहीं समझ पाता कि क्या हुआ था, लेकिन घर का माहौल उसके ऊपर भी असर डाल रहा है। उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी बहुत परेशान है। मेरे कंधे, पीठ, घुटने और शरीर के बाएं हिस्से में अब भी जलन और दर्द है। मैं धीरे-धीरे चलता हूं, घर से बाहर बहुत कम निकलता हूं। ठीक से चल नहीं पाता, गाड़ी नहीं चला सकता। मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुका हूं।’ क्या वह फिर से अपनी पुरानी जिंदगी में लौट पाएंगे? इस पर उन्होंने बस इतना कहा, ‘मुझे नहीं पता।’
एयर इंडिया से नहीं मिला कोई जवाब
इस परिवार की मदद करने वाले स्थानीय समुदाय के नेता संजिव पटेल और संकट सलाहकार रैड सीगर ने कहा कि एयर इंडिया और ब्रिटिश अफसरों दोनों ने अब तक पर्याप्त और समय पर सहायता नहीं दी। सीगर ने बताया कि एयर इंडिया के शीर्ष अफसरों से बैठक के लिए कई बार अनुरोध किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
एयर इंडिया ने क्या कहा?
वहीं एयर इंडिया ने बयान में कहा कि वह अपनी जिम्मेदारी को लेकर बेहद सजग है और टाटा समूह के वरिष्ठ अधिकारी पहले ही पीड़ित परिवारों से मिल चुके हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि विश्वास कुमार के प्रतिनिधियों से मिलने का प्रस्ताव अब भी खुला है और संपर्क जारी है।
बहरहाल, विश्वास कुमार दर्द से राहत पाने, चलने-फिरने और मेंटल हेल्थ पर फोकस कर रहे हैं, जबकि अपने भाई की मौत के गम और अनिश्चित भविष्य से जूझ रहे हैं।