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बवासीर से मिलेगी मुक्ति : 20 साल पुरानी पाइल्स भी होगा ठीक, जाने कैसे करें खुद अपना इलाज

डेस्क : लोगों में बवासीर (पाइल्स) तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक बन चुकी है। खराब खानपान, कब्ज, कम पानी पीना और बैठे-बैठे रहने की आदत इसके सबसे बड़े कारण हैं। यह बीमारी न सिर्फ दर्द बढ़ाती है,. . .

डेस्क : लोगों में बवासीर (पाइल्स) तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक बन चुकी है। खराब खानपान, कब्ज, कम पानी पीना और बैठे-बैठे रहने की आदत इसके सबसे बड़े कारण हैं। यह बीमारी न सिर्फ दर्द बढ़ाती है, बल्कि मरीज की जीवनशैली को भी काफी प्रभावित करती है।

कब्ज से शुरू होता है बवासीर का सफर

कब्ज बवासीर की शुरुआत का सबसे बड़ा कारण है। जब पेट सही से साफ नहीं होता, तो मल त्याग के दौरान ज्यादा जोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा क्षेत्र की नसों में सूजन आ जाती है। यही सूजन आगे चलकर मस्से बनने, खून आने, दर्द बढ़ने और चलने-फिरने में मुश्किल जैसी समस्याओं का रूप ले लेती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि खराब खानपान, कम शारीरिक मेहनत, पानी की कमी और लंबे समय तक बना रहने वाला कब्ज—ये सभी कारण मिलकर बवासीर को धीरे-धीरे खतरनाक रूप दे देते हैं।

पूरे उत्तर भारत में मिलने वाला ‘कचनार’ पेड़

वैद के अनुसार उत्तर भारत में आसानी से मिलने वाला कचनार का पेड़ बवासीर जैसी समस्याओं के लिए बेहद कारगर माना जाता है। उनका कहना है कि यह पेड़ इतनी शक्ति रखता है कि पूरी दिल्ली की बवासीर भी खत्म कर सकता है, लेकिन लोग इसकी पहचान नहीं कर पाते। आयुर्वेद में कचनार को गांठ, रसौली, सिस्ट और पाइल्स के मस्से तक खत्म करने वाला पेड़ माना गया है, और चरक संहिता में भी इसके गुणों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।

कचनार के पेड़ की पहचान कैसे करें?

कचनार के पेड़ की पहचान मुख्य रूप से उसके पत्तों से की जाती है। इसके पत्ते दिल (Heart) के आकार के होते हैं, जिनके किनारों पर हल्का पीलापन दिखाई देता है, जबकि बीच का हिस्सा गहरा हरा होता है। पत्तों की पीछे वाली सतह पर हल्की-सी साफ दिखाई देने वाली रेखाएं होती हैं, जो इसे अन्य पेड़ों से अलग बनाती हैं।

20 साल पुरानी बवासीर भी हो सकती है ठीक

छोटे वैद का दावा है कि कचनार का पेड़ उन लोगों के लिए भी बेहद लाभकारी है, जिन्हें 15–20 साल से पुरानी बवासीर की समस्या है। जिन मरीजों के मस्से बाहर आ चुके हैं, ब्लीडिंग होती है, कट्स बने रहते हैं या सूजन की वजह से लगातार दर्द महसूस होता है—उन सभी को कचनार काफी राहत दे सकता है। उनके अनुसार, कचनार में ऐसी क्षमता होती है कि यह पाइल्स के मस्सों को धीरे-धीरे सुखाकर गिराने तक की ताकत रखता है।

पत्तों से ज्यादा फायदेमंद इसकी छाल

ककचनार के पेड़ की छाल इसके पत्तों की तुलना में कहीं अधिक गुणकारी मानी जाती है। आयुर्वेद में इसे शरीर की अनचाही गांठों, रसौली, सिस्ट, अल्सर, लिपोमा, बढ़े हुए अनावश्यक मांस और पाइल्स के मस्सों जैसी समस्याओं का रामबाण बताया गया है। माना जाता है कि इसकी छाल में मौजूद प्राकृतिक तत्व शरीर के भीतर बढ़ी हुई असामान्य ग्रंथियों और सूजन को कम करने की क्षमता रखते हैं।

पाइल्स को ठीक करने का नुस्खा (एक्सपर्ट द्वारा बताया गया)
सामग्री

कचनार की छाल
2 लीटर पानी

कैसे बनाएं

छाल को 2 लीटर पानी में डालें
उसे उबलने दें
पानी घटकर 1 लीटर रह जाए, तब गैस बंद कर दें।

कैसे लें

सुबह 20 मिली खाना खाने से पहले
शाम 20 मिली खाना खाने से पहले।

बवासीर एक दर्दनाक और जटिल बीमारी है, लेकिन समय रहते सही उपाय किए जाएं तो इससे राहत संभव है। कचनार पेड़ की छाल आयुर्वेद में पाइल्स और अन्य गांठों को ठीक करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। हालांकि, किसी भी घरेलू या आयुर्वेदिक नुस्खे को अपनाने से पहले डॉक्टरी सलाह लेना बेहद जरूरी है ताकि शरीर को कोई नुकसान न पहुंचे।

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