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भारतीय सेना में होंगे अहम बदलाव! जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने तय किए ये 4 टारगेट

नई दिल्ली। भारतीय सेना को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चार अहम लक्ष्य तय किए हैं। उन्होंने 2047 तक तय किए गए इन 4 टारगेट को स्प्रिंगबोर्ड कहा है, जो आने वाले सालों में. . .

नई दिल्ली। भारतीय सेना को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चार अहम लक्ष्य तय किए हैं। उन्होंने 2047 तक तय किए गए इन 4 टारगेट को स्प्रिंगबोर्ड कहा है, जो आने वाले सालों में सेना में बड़े बदलाव लाएंगे। गुरुवार को दो दिवसीय चाणक्य डिफेंस डायलॉग के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने बताया कि ये चारों लक्ष्य 2047 तक सेना को बदलने की तीन चरणीय योजना का हिस्सा होंगे।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि सेना को सशक्त करने के लिए पहला लक्ष्य आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के माध्यम सशक्तिकरण है। जिसके नतीजे रक्षा निर्माण, अंतरिक्ष में उपलब्धियां और सैन्य तकनीक को सेना द्वारा तेजी से अपनाने में दिख रहे हैं। जबकि स्प्रिंगबोर्ड में दूसरा टारगेट इनोवेशन है।

AI, क्वांटम पर किया जाएगा फोकस

सेना प्रमुख ने दूसरे लक्ष्य पर बात करते हुए कहा, हमें अब एआई, साइबर, क्वांटम, अंतरिक्ष और एडवांस मटेरियल में प्रयोग से आगे बड़े पैमाने पर प्रभाव डालना होगा। उन्होंने कहा, स्प्रिंगबोर्ड में हमने अनुकूलन, पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार अहम है।
उन्होंने चौथे प्रिंगबोर्ड पर बात करते हुए कहा कि है इसके तहत मिलिट्री सिविल फ्यूजन का टारगेट तय किया गया है। इसे विस्तार से समझाते हुए सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि युद्ध लड़ने की क्षमता का विकास एक मल्टी-एजेंसी, मल्टी मॉडल प्रयास है। जिसमें शिक्षाविदों, उद्योग और सेना को विभिन्न डोमेन में गहरी तालमेल हासिल करनी चाहिए।

2047 तक चलेगी तीन-चरणीय योजना

कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल ने भारतीय सेना की तीन-चरणीय योजना के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि योजना का पहला चरण 2032 तक पूरा होने की उम्मीद है। जबकि दूसरा चरण 2032 से 2037 तक चलेगा। जबकि तीसरा चरण 2037 से 2047 तक पूरा होगा।
सेना प्रमुख ने कहा कि दुनिया तेजी से बहुध्रुवीय होती जा रही है, जहां बड़ी शक्तियां लगातार एक-दूसरे से आगे निकलने और प्रतिस्पर्धा करने में लगी हुई हैं। दुनिया राष्ट्रीय सुरक्षा युद्ध लड़ने की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे यह मौलिक सवाल उठता है कि इस तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारतीय सेना को निर्णायक और तैयार रहने के लिए कैसे बदलना चाहिए।

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