डेस्क। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा पूरी करके स्वदेश लौट गए। शुक्रवार की देर रात करीब 9:30 बजे वे दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से अपने विशेष विमान के माध्यम से रवाना हुए। इस दौरे के दौरान भारत और रूस ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और कई अहम सहयोग समझौतों पर सहमति जताई। दोनों देशों ने आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही, पुतिन ने इस अवसर का उपयोग करते हुए पाकिस्तान को भी एक संकेत भरे संदेश दिए।
पुतिन ने अफगानिस्तान की नई तालिबानी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ गंभीर कदम उठाए हैं और अफीम की खेती रोकने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं। रूस ने इसी कारण तालिबानी शासन को आधिकारिक मान्यता दी है। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान दशकों से गृहयुद्ध की स्थिति में था, लेकिन अब वहां की सरकार ने स्थिति सुधारने की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है।
इसलिए महत्वपूर्ण है पुतिन का ये बयान
यह टिप्पणी खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान अक्सर अफगानिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है। इसके बावजूद पुतिन ने प्रशंसा करते हुए कहा कि अफगानिस्तान आतंक और ड्रग्स के खतरों से निपटने में अथक प्रयासरत है और कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां तालिबानी सरकार ने सकारात्मक प्रगति की है। इस यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने का संकेत दिया, जबकि क्षेत्रीय चुनौतियों पर भी नए दृष्टिकोण सामने आए।
पुतिन ने पाकिस्तान का नैरेटिव ध्वस्त कर दिया है
अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान को लेकर चलाया जा रहा पाकिस्तान का नैरेटिव रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने एक झटके में ध्वस्त कर दिया है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन एक सच्चाई है और इसे स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अफगान तालिबान आतंकवादी संगठनों से लड़ रहा है और उसने देश में अफीम के उत्पादन पर रोक लगा दी है। पुतिन ने यह बात इंडिया टुडे के साथ साक्षात्कार के दौरान कही। उन्होंने काबुल में तालिबान के शासन को मॉस्को से मान्यता दिए जाने की वजह भी बताया।
आतंक के खिलाफ तालिबान की लड़ाई
पुतिन ने कहा कि हर देश में समस्याएं होती हैं और अफगानिस्तान कोई अलग नहीं है। लेकिन तालिबान साफ तौर पर अफगानिस्तान में हालात को कंट्रोल करता है। सबसे पहले यह कहना जरूरी है और आपको इसे मानना होगा क्योंकि यह असलियत है। दूसरी बात यह ध्यान रखना जरूरी है कि अफगान आतंकवाद और इस्लामिक स्टेट और उनके जैसे दूसरे आतंकवादी संगठनों से लड़ने के लिए कई कदम उठाती है। यह हम भी अच्छी तरह जानते हैं।
तालिबान से संबंध की बताई वजह
पुतिन ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से संबंध स्थापित करने को लेकर भी बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में स्थिति पर असर डालने के लिए मौजूदा नेतृत्व के साथ जुड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘कोई संपर्क न होने से तो बेहतर है कि कोई संपर्क हो। देश की घटनाओं पर असर डालने के लिए आपको वहां की मौजूदा नेतृत्व के संपर्क में रहना होगा। हम ठीक यही कर रहे हैं।’ रूस ने तालिबान के साथ अपने रिश्ते गहरे किए हैं। रूस पहला देश है जिसने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दी है और काबुल के साथ रिश्ते बनाए हैं।