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माँ के दूध में जहर है ! बिहार के 6 जिले में रिसर्च में बड़ा खुलासा

नई दिल्ली। बिहार में भूजल प्रदूषण का मुद्दा अब सीधे नवजात की सेहत पर असर डालता दिख रहा है। महावीर कैंसर संस्थान, पटना और एम्स नई दिल्ली की संयुक्त स्टडी में यह बात सामने आई है कि राज्य के छह. . .

नई दिल्ली। बिहार में भूजल प्रदूषण का मुद्दा अब सीधे नवजात की सेहत पर असर डालता दिख रहा है। महावीर कैंसर संस्थान, पटना और एम्स नई दिल्ली की संयुक्त स्टडी में यह बात सामने आई है कि राज्य के छह जिलों भोजपुर, समस्तीपुर, मुंगेर, भागलपुर, खगड़िया और नालंदा में स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में यूरेनियम पाया गया है। अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच की गई इस जांच में 17 से 35 साल की 40 माताओं के दूध के नमूने लिए गए और चौंकाने वाली बात यह रही कि सभी के दूध में यूरेनियम मौजूद था। वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे ज्यादा स्तर खगड़िया में और सबसे कम नालंदा में पाया गया।
नमूनों में यूरेनियम की मात्रा 0 से 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर के बीच रही। इस स्टडी का नेतृत्व महावीर कैंसर संस्थान के डॉ. अरुण कुमार ने किया। एम्स नई दिल्ली के डॉ. अशोक शर्मा रिसर्च के सह लेखक रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह यूरेनियम भूजल के जरिए शरीर में पहुंच रहा है, क्योंकि इन जिलों में पानी पहले से ही दूषित बताया जाता रहा है। यह दूषित पानी पीने और भोजन के माध्यम से शरीर में जाता है और फिर माताओं के दूध में पहुंचकर बच्चों के लिए खतरा पैदा करता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि यूरेनियम का स्रोत कौन- सी जगह या गतिविधि है, लेकिन यह तथ्य गंभीर है कि यह सीधे बच्चों तक पहुंच रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, नवजात और छोटे बच्चे भारी धातुओं को तेजी से सोखते हैं और उनका शरीर उन्हें बाहर निकाल नहीं पाता। इससे उनमें किडनी को नुकसान, दिमागी विकास में कमी, सीखने और व्यवहार में समस्या, कमजोर IQ और आगे चलकर कैंसर की बीमारी का खतरा भी हो सकता है।

पानी में आर्सेनिक ज्यादा

बिहार के 6 जिलों में लोगों का पीने का पानी और खाने का अनाज धीरे-धीरे जहर में बदलता जा रहा है। स्टडी में टीम ने बिहार के पटना, वैशाली, सारण, भोजपुर, बक्सर और नालंदा जिलों में सर्वे किया। कुल 286 घरों से हैंडपंप के पानी, गेहूं, चावल, बाल और नाखून के नमूने एकत्र किए गए। जांच में लगभग 14% हैंडपंपों के पानी, 44% गेहूं और 3% चावल के नमूनों में आर्सेनिक की मात्रा WHO की तय सीमा से अधिक पाई गई।

अनाज हो रहा जहरीला

विशेषज्ञों के अनुसार खेतों की सिंचाई में इस्तेमाल हो रहा दूषित भूजल अब खाद्यान्न को भी जहरीला बना रहा है। यही अनाज जब लोगों की थाली में पहुंचता है, तो धीरे-धीरे यह शरीर में जमा होकर कैंसर, त्वचा संबंधी रोग, हार्मोनल गड़बड़ी और तंत्रिका तंत्र की बीमारियों को जन्म दे रहा है। बच्चों में आर्सेनिक के असर का खतरा बड़ों की तुलना में ज्यादा है, क्योंकि उनके शरीर का वजन कम होता है और भोजन की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक।

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