सिलीगुड़ी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी एक ऐसी नेता है, जिसको लोग अपने काफी करीब महसूस करते है। हालांकि देश और बंगाल की राजनीति में उनका कद किसी से नहीं छिपा है, मगर जिस अंदाज में वह जनता के बीच जाती हैं, जिस अंदाज में वे सबके साथ खुद को ढाल लेती हैं, उनके इस अंदाज पर जनता हमेशा उन पर फ़िदा रहती है। इसमें कोई दोमत नहीं है कि वह जमीन से जुडी नेता है, लेकिन आम लोगों के बीच घुलमिल जाने की उनकी कला के कारण वह लोगों के दिलों पर राज करती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दार्जिलिंग दौरे पर हैं और आज पहाड़ दौरे का अंतिम दिन था। मुख्यमंत्री आज भी कुछ अलग अंदाज में नजर आईं। आज सुबह भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मॉर्निंग वॉक के लिए निकली थीं। दार्जिलिंग के रिचमंड हिल में एक मोमो की दुकान में मुख्यमंत्री अचानक से पहुंच गई। जहां मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से मोमो बनाया। वहीं सेल्फ हेल्प ग्रुप के स्टॉल से मुख्यमंत्री ने 2 ऑर्किड प्लांट भी खरीदा। बुधवार की सुबह भी ममता बनर्जी खुली सड़क पर मॉर्निंग वॉक के लिए निकली थी और मॉर्निंग वॉक के दौरान वह स्थानीय लोगों के साथ जनसंपर्क भी किया और लोगों से मिलकर उनसे बातचीत कीं थी। बच्चों को गोद में लेकर प्यार किया और उनको चॉकलेट दिया।
अधिकार देखने को मिलता है कि ममता जब उत्तर बंगाल जाती हैं तो कभी मोमो बनाती हैं तो कभी फुचका बनाकर खिलाती हैं। दीदी जब दक्षिण बंगाल जाती हैं तो चाय बनाकर पिलाती हैं, क्योंकि दीदी को पता है कहां क्या बनाना है और क्या खिलाना है।
पिछले साल ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग दौरे पर मोमो बनाकर खिलाया था और इसी सप्ताह मंगलवार को भी वह फुचका के स्टाल पर पहुंच गईं थी। सड़क किनारे एक स्टॉल पर पानी पुरी बनाई थी और बच्चों एवं पर्यटकों को उसे परोसा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो को खस्ता खोखली पूरी आलू के साथ भरकर इमली के पानी में डुबो कर लोगों को परोसते हुए देखा गया। इस दौरान उन्होंने ना सिर्फ फुचका बनाया बल्कि लोगों को खिलाया भी। आम लोगों के साथ उनके घुल मिल जाने की कला लोगों को काफी पसंद आता है और लोग उनको एक सियासी सख्सियत नहीं, बल्कि अपने बीच का एक आम आदमी समझते है।
हालांकि सियासी जानकर इसके कुछ अलग ही मायने निकालते है। राजनीति के पंडितों का मानना है कि ममता के इस अलग अंदाज के पीछे सोची समझी रणनीति है। राजनीति के पंडितों के अनुसार दार्जिलिंग कभी भी टीएमसी का गढ़ नहीं रहा। यहां पिछले कई सालों से बीजेपी का दबदबा रहा है, ऐसे में पंचायत चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में अभी टीएमसी की मुख्य रणनीति उत्तर बंगाल में पार्टी का दबदबा कायम करने की है।
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल की सभी सात सीटें बीजेपी ने जीत ली थीं। टीएमसी के हाथ कुछ भी नहीं लगा। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने उत्तर बंगाल से काफी सीटें निकाल लीं। ऐसे में टीएमसी के लिए इस वक्त उत्तर बंगाल बेहद महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि ममता महीने में एक चक्कर उत्तर बंगाल का लगा रही हैं। साथ ही जनसम्पर्क भी बड़ा रही हैं।