डेस्क। गुजरात में गर्भवती महिलाओं में एचआईवी-एड्स संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले पांच साल में दो हज़ार से ज़्यादा ग़र्भवती महिलाएं एचआईवी पॉज़िटिव पाई गई हैं। विश्व एड्स दिवस पर जारी आंकड़ों ने गुजरात के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य में पिछले पाँच सालों में 74 लाख 72 हज़ार ग़र्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की गई, जिनमें से 2473 महिलाएँ पॉज़िटिव पाई गईं। राज्य में इस समय करीब 90 हज़ार एचआईवी संक्रमित मरीज इलाज ले रहे हैं. एचआईवी अब एक क्रोनिक लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी बन चुकी है, यानी दवाओं के नियमित सेवन से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
गर्भवती महिलाओं के मामले में खास सावधानी
गुजरात में गर्भवती महिलाओं के मामले में खास सावधानी बरती जाती है ताकि संक्रमण नवजात तक न पहुंचे। गुजरात स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के अनुसार राज्य में एचआईवी का प्रिवेलेंस रेट 0.18 फ़ीसदी है, जबकि देश में यह 0.20 फ़ीसदी है। राज्य के अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वडोदरा, भावनगर और जामनगर ज़िलों को हाई प्रायोरिटी क्षेत्र घोषित किया गया है। यहाँ 261 आईसीटीसी और 2466 एफआईसीटीसी केंद्रों पर निशुल्क जांच और परामर्श सुविधा उपलब्ध है. साथ ही 88 गैर सरकारी संगठन (NGO) भी जोख़िमी प्रवृत्ति वाले समूहों को काउंसलिंग, कंडोम वितरण और जागरूकता सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।
गुजरात के सूरत में आया था पहला केस
भारत में फिलहाल लगभग 26 लाख लोग एचआईवी संक्रमण के साथ जी रहे हैं। दुनिया में इसका आंकड़ा करीब 4 करोड़ के पार पहुंच चुका है। एचआईवी का पहला मामला साल 1981 में अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में सामने आया था, जबकि भारत में 1986 में चेन्नई और गुजरात के सूरत में पहले केस दर्ज किए गए थे. विश्व एड्स दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जागरूकता और समय पर जांच ही संक्रमण से सुरक्षा की सबसे बड़ी ढाल है।