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साढ़े तीन सौ साल पुराने जहरा काली मंदिर में चल रही पूजा-अर्चना, भक्तों की उमड़ी भारी भीड़

मालदा। साढ़े तीन सौ साल पुराने जहुरा काली मंदिर में बैशाख के महीने काली माँ की धूमधाम से पूजा अर्चना की जा रही है। साथ ही पूजा में भाग लेने के लिए जहरा काली बाड़ी के मंदिर में भक्तों की. . .

मालदा। साढ़े तीन सौ साल पुराने जहुरा काली मंदिर में बैशाख के महीने काली माँ की धूमधाम से पूजा अर्चना की जा रही है। साथ ही पूजा में भाग लेने के लिए जहरा काली बाड़ी के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़त है। बैशाखी पूजा में कुछ भक्तों को टोटो से आते हुए देखा गया तो वहीँ कोई कोई अलग-अलग वाहनों में जहरा काली बाड़ी में पूजा करने आये। स्थानीय लोगों के अनुसार एक समय में इस कालीबाड़ी में घोड़े की सवारी का प्रचलन था। लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव हुआ और अब घोड़ा-गाड़ी अब नजर नहीं आती। इतने सारे भक्त ज़हुरा कालीबाड़ी में पूजा करने के लिए अलग-अलग वाहनों से आते हैं।
आपको बता दें कि जहरा काली मंदिर मालदा कस्बे से सात किलोमीटर दूर इंग्लिशबाजार प्रखंड के जदुपुर 2 ग्राम पंचायत के भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती गांव में स्थित है। इस मंदिर में हर साल बैशाख के महीने में जहरा मां की पूजा की जाती है और दूर-दूर से श्रद्धालु श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं। कई श्रद्धालु यहां बैशाख के महीने में सिद्ध साधक के दर्शन करने के लिए आते हैं। जहुरा काली मंदिर में एक महीने तक पूजा-पाठ और मेला चलता है। हालांकि, हर मंगलवार और शनिवार को इस जहरा काली बाड़ी मंदिर में अधिक भीड़ होती है।
मंदिर के प्रमुख मुकुल तिवारी ने बताया कि “करीब साढ़े तीन सौ साल पुराने जहरा काली मंदिर में श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वैशाख के महीने में ही नहीं, बल्कि हर मंगलवार और शनिवार को भी भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कई लोग मंदिर के सामने बकरियों को बलि देते हैं और कद्दू दान करते हैं।”
मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, तिवारी वंश के पूर्वज चलबो तिवारी ने सबसे पहले जहुरा की माँ की पूजा शुरू की थी। यहां देवी जहरा माता की दुर्गा और काली के रूप में पूजा की जाती है।