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सोते समय इंसानों के चेहरे पर सेक्स करते हैं ये जीव, आठ पैरों वाले इस ‘जानवर’ पर बड़ा खुलासा

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लंदन। हर रिसर्च के बाद पता चलता है, कि ये दुनिया कितनी रहस्यमयी है और कुदरत के खेल कितने निराले होते हैं। क्या आपको अभी तक पता था, कि जब इंसान सो जाते हैं, तो एक ऐसा भी जीव होता है, जो उस वक्त इंसानी चेहरे पर सेक्स करता है। आठ पैरों वाले इस जानवर को लेकर वैज्ञानिकों के रिसर्च में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है।
स्किन माइट्स है इस जीव का नाम
ये जीव हमें खुली आंखों से दिखाई नहीं देते हैं और इसका नाम स्किन माइट्स है, जिसके आठ पैर होते हैं और नये रिसर्च में पता चला है कि, जब इंसान सो जाते हैं, उस वक्त ये अपनी जनसंख्या बढ़ाने का काम करते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि, ये जीव हर इंसान की त्वचा में रहता है और इसके सेक्स करने की आदत भी काफी अजब है। ये इंसानों के सोने के बाद उसके चेहरे पर सेक्स क्रिया को अंजाम देते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेमोडेक्स फॉलिकुलोरम माइट्स लगभग हर इंसान के चेहरे, पलकों और निपल्स पर पाया जाता है, जो एक साथी की तलाश में घूमता रहता है।
अबीज है प्रजनन की आदत
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के शोधकर्ताओं ने पहली बार एक स्किन माइट्स के जीनोम के अनुक्रम पर रिसर्च किया है, और पाया कि सेक्स के दौरान ये अनावश्यक कोशिकाओं पर बहते रहते हैं। वैज्ञानिकों ने रिसर्च के दौरान पाया है कि, स्किन माइट्स वैसे तो परजीवी है और इंसानो के त्वचा पर ही रहता है, लेकिन कई बार ये परजीवी हमारे शरीर के भीतर भी दाखिल हो जाते हैं और इंसानों को संक्रमित कर देते हैं।
कैसा होता है स्किन माइट्स
वैज्ञानिकों के मुताबिक, स्किन माइट्स का आकार सिर्फ 0.01 इंच यानि 0.3 मिमी लंबे होते हैं और जैसे जैसे हमारे शरीर में छिद्रों की संख्या बढ़ती जाती है, इस जीव की संख्या में भी इजाफा होता जाता है। वैज्ञानिकों ने इस जीव के डीएनए के टेस्ट किया है और डीएनए विश्लेषण से पता चला है कि, इस जीव के संभोग की आदत काफी ज्यादा विचित्र है और शरीर की विशेषताओं के साथ ये विकास करते हैं। वैज्ञानिक अलेजांद्रा पेरोटी, जिन्होंने इस रिसर्च का सह-नेतृत्व किया है, उन्होंने कहा कि, ‘हमने पाया कि इन जीवों की शारीरिक व्यवस्था दूसरे जीवों से काफी अलग होते हैं’।
स्किन माइट्स की 48 हजार प्रजातियां
स्किन माइट्स की 48 हजार प्रजातियां वैज्ञानिक अलेजांद्रा पेरोटी ने कहा कि, इंसानों के शरीर के छिद्रों में रहने वाले स्किन माइट्स के 48 हजार अलग अलग प्रजातियां हैं और हर प्रजातियों की शारीरिक व्यवस्था एक दूसरे से अलग है। इंसानों के शरीर के छिद्र में रहने के लिए ये अनुकूल होते हैं। उनके डीएनए में इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप इनकते शरीर में कुछ असामान्य विशेषताएं और व्यवहार आए हुए हैं’। अलेजांद्रा पेरोटी ने कहा कि, हालांकि, इस जीव की 48 हजार प्रजातियां हैं, लेकिन सिर्फ 2 प्रजातियां हीं हमारे चेहरे पर रहते हैं और उन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है।
बाहरी खतरों से रहते हैं बिल्कुल दूर
स्किन माइट्स बाहरी खतरों से बिल्कुल दूर रहते हैं और इंसानों के शरीर के छिद्र में रहते हुए बिल्कुल अकेलापन में अपनी जिंदगी बिताते हैं। इस कारण से, स्किन माइट्स अनावश्यक जीन और कोशिकाओं को बहा रहे हैं, और शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रोटीन की न्यूनतम संख्या के साथ जीवित रह रहे हैं। अपने डीएनए की वजह से ये सूरज की रोशनी में सुसुप्तावस्था में चले जाते हैं और जब रात में इंसानी शरीर हरकत करना बंद कर देता है, उस वक्त ये जीव छिद्रों से बाहर निकलते हैं और इंसानों के चेहरे पर आकर सेक्स क्रिया करते हैं। स्किन माइट्स से मेलाटोनिन का उत्पादन करनी की अपनी क्षमता खो दी है, जो एक यौगित होता है, जो रात में अकशेरूकी जीवों को सक्रिय बनाता है, लेकिन इस क्षमता को खोने के बाद भी ये मानव त्वचा से स्रावित मेलाटोनिन का उपयोग करके अपने शाम को सेक्स करते हैं।
इंसानों के रोएं से चिपकर करते हैं सेक्स
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के दौरान देखा कि, स्किन माइट्स की सेक्स करने की क्षमता भी काफी अलग होती है और मेल स्किन माइट्स के लिंग इस तरह के होते हैं, कि उन्हें संभोग के वक्त नीचे ही रहना होता है। लिहाजा, वो इंसानों के रोएं से लटककर सेक्स करते हैं और कई बार ये इंसानों के बालों में घुस जाते हैं और इंसानी बालों के जरिए अपने साथी से लिपटे और चिपके रहते हैं।
कील की तरह होते हैं लंब स्किन माइट्स जीव
माइक्रोस्कोप से देखने पर कील की तरफ दिखाई देते हैं और इनका शरीर देखने मे लंबा और कोन के आकार का होता है। वहीं, इनके पैर भी इनके शरीर के मुकाबले अत्यंत छोटे होते हैं। वहीं, वैज्ञानिकों ने कहा है कि, स्किन माइट्स हमारे चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होते हैं और जब तक स्किन माइट्स त्वचा की छिद्रों में रहते हैं, तब तक चेहरे पर कील मुंहांसे नहीं होते हैं। वैज्ञानिकों ने देखा कि, हमारे बालों में लगा तेल इनका भोजन होता है और इनके शरीर में चूंकी आनुवंशिक कमी होती है, लिहाजा कम प्रोटीन के साथ भी ये जिंदा रहते हैं।


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