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अजब-गजब मामला : पहले जीजा साली संग भागा, फिर साले ने जीजा की बहन से लिया बदला !

बरेली (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों की परिभाषा, समाज की सोच और गांव की चौपालों तक को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह कमालूपुर गांव (थाना देवरनियां). . .

बरेली (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों की परिभाषा, समाज की सोच और गांव की चौपालों तक को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यह कमालूपुर गांव (थाना देवरनियां) का किस्सा है, जिसे गांववाले मजाक में “रियलिटी शो” कह रहे हैं, लेकिन असल में यह एक गंभीर सामाजिक उलझन की मिसाल बन गया है।

पहला अध्याय: जीजा-साली हुए फरार

घटना की शुरुआत हुई 23 अगस्त को, जब 28 वर्षीय केशव कुमार, जो छह साल से शादीशुदा है और दो बच्चों का पिता है, अचानक अपनी 19 वर्षीय साली कल्पना के साथ घर से गायब हो गया। दोनों के लापता होने से परिजन और गांववाले हैरान रह गए। गांव की चौपालों पर कानाफूसी शुरू हो गई और मामला चर्चा का विषय बन गया।

दूसरा अध्याय: साले ने लिया ‘पलटवार’

घटना से आहत और गुस्से में आए केशव के साले रवींद्र ने ‘बदला लेने’ की ठानी। उसने अपने जीजा की उम्र की बराबर 19 वर्षीय बहन को लेकर फरार होने का फैसला कर डाला। यह कदम गांववालों के लिए और भी चौंकाने वाला था। अब मामला केवल एक प्रेम-प्रसंग का नहीं, बल्कि रिश्तों की उलझती हुई डोर का प्रतीक बन गया।

पुलिस की एंट्री: मामला पहुंचा थाने

जब दोनों पक्षों के परिजन तलाश में असफल रहे, तो मामला पुलिस के पास पहुंचा। नवाबगंज थाने में दोनों परिवारों की तरफ से गुमशुदगी और अन्य संबंधित शिकायतें दर्ज कराई गईं। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 14 और 15 सितंबर को दोनों कपल्स को ढूंढ निकाला।

थाने में पंचायत जैसा माहौल, लेकिन फैसला शांतिपूर्ण

पुलिस ने दोनों परिवारों और गांव के बुजुर्गों को थाने बुलाया। वहां का माहौल किसी ग्राम पंचायत की तरह लग रहा था। लेकिन जिस तरह आमतौर पर ऐसे मामलों में तनाव, झगड़े और कानूनी कार्रवाई होती है, इस बार स्थिति बिल्कुल उलट थी।

बुजुर्गों और पुलिस की मध्यस्थता से बात बनी और दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से मामले को सुलझा लिया। यह तय हुआ कि दोनों जोड़े आपसी सहमति और समझदारी से साथ रहना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने दी जाए।

रिश्ते अब नाम और रिवाज से नहीं, सहमति से चलते हैं

यह मामला न सिर्फ गांव, बल्कि समाज के लिए भी सोचने का विषय है कि रिश्तों की पारंपरिक परिभाषाएं अब बदल रही हैं। हालांकि यह घटना अजीब जरूर लगती है, लेकिन इसमें सहमति, स्वतंत्रता और सामाजिक स्वीकृति जैसे महत्वपूर्ण पहलू भी छिपे हैं।

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