Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

अब एक्स-रे से पता चलेगा कोरोना है या नहीं

- Sponsored -

- Sponsored -


नई दिल्ली। अब एक ऐसी नई एक्स-रे टेक्नोलॉजी आई है, जिससे बिना आरटी-पीसीआर टेस्ट किए ही ये पता लग जाएगा कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। अब तक किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन या आरटी-पीसीआर टेस्ट का सहारा लिया जाता है। ये तकनीक उन देशों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है, जिनके यहां आरटी-पीसीआर टेस्ट की कमी है।
एक्स-रे से होगी कोरोना की जांच
कोरोना जांच करने वाली इस नई एक्स-रे तकनीक को यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट स्कॉटलैंड (यूडब्लूएस) के वैज्ञानिकों प्रोफेसर नईम रमजान, गेब्रियल ओकोलो और डॉ स्टामोस कैट्सिगियनिस ने विकसित किया है। स्कॉटलैंड के रिसर्चर्स द्वारा विकसित यह एक्स-रे तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई पर आधारित है। इस तकनीक से किसी व्यक्ति को कोरोना है या नहीं, इसका पता कुछ ही मिनटों में चल जाएगा।
यूडब्लूएस के रिसर्चर्स के मुताबिक, इस नई तकनीक में कोरोना संक्रमित मरीजों, स्वस्थ व्यक्तियों और वायरल निमोनिया से पीड़ित लोगों के करीब 3 हजार एक्स-रे इमेज का डेटाबेस होता है। एआई-आधारित एक्स-रे से इन सभी इमेज के स्कैन (बारीकी से जांच) की तुलना की जाती ।
इसके बाद एक ‘डीप कन्वेन्शनल न्यूरल नेटवर्क’ नाम की एआई तकनीक, एल्गोरिदम के जरिए विजुअल इमेजरी का विश्लेषण करके ये पता करती है कि व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं। रिसर्चर्स का दावा है कि एक विस्तृत टेस्टिंग फेज में इस तकनीक ने कोरोना संक्रमण का पता लगाने में 98% सटीक रिजल्ट दिया।
इस नई तकनीक को विकसित करने वाली तीन लोगों की टीम के प्रमुख प्रोफेसर रमजान का कहना है कि ये तकनीक उन देशों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी जहां बड़ी संख्या में कोरोना टेस्ट करने के लिए जांच उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। एआई बेस्ड एक्स-रे टेक्नोलॉजी से कोरोना का पता कुछ ही मिनटों में चल जाएगा, जबकि मौजूदा आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में कम से कम 2 घंटे लगते हैं। जल्द कोरोना डिटेक्ट होने से मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी। प्रोफेसर रमजान ने कहा कि यह तकनीक कोरोना का पता लगाने में पीसीआर टेस्ट से तेज काम करती है। उन्होंने कहा कि कोरोना का जल्द पता लगाने के लिए लंबे समय से एक शीघ्र और विश्वसनीय टूल की जरूरत थी, खासतौर पर ओमिक्रॉन फैलने के बाद से। साथ ही प्रोफेसर रमजान ने ये भी कहा कि वायरस के गंभीर मामलों की जांच करते समय, यह टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण और संभावित रूप से जीवन रक्षक साबित हो सकती है, इससे जल्द ही ये तय करने में मदद मिलती है कि किस तरह के इलाज की जरूरत है।
नई एआई आधारित एक्स-रे तकनीक से खासकर उन देशों को फायदा होगा जहां पीसीआर टेस्ट पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। जब हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एसिम्प्टोमेटिक लोगों की जांच की अनिवार्यता खत्म की, तो एक्सपर्ट ने माना कि इसकी एक वजह ये भी है कि सरकार के पास देश के हर व्यक्ति की टेस्टिंग के लिए संसाधन मौजूद नहीं हैं।
न केवल भारत बल्कि अमेरिका ने भी हाल ही में होम आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के लिए टेस्टिंग की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। अमेरिका के इस फैसले को कई विशेषज्ञों ने वहां टेस्टिंग की पर्याप्त उपलब्धता न होने से जोड़कर देखा था। ऐसे में न केवल भारत, अमेरिका, बल्कि कई अफ्रीकी और दुनिया के गरीब देशों में कोरोना जांच के लिए एआई आधारित एक्स-रे तकनीक बहुत काम आ सकती है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.