नई दिल्ली। भारत और कनाडा भले ही राजनयिक गतिरोध में फंसे हों, लेकिन जब बात इमिग्रेशन की आती है तो स्थिति इससे बिल्कुल जुदा है. भारतीय, जो ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) देशों में प्रवास करने में शीर्ष पर हैं, विदेशी नागरिकता प्राप्त करने में भी आगे हैं. वहीं अमेरिका में नागरिकता लेना भारत के लोगों की पहली पसंद है.
रिपोर्ट के अनुसार इधर कनाडा ने विदेशी नागरिकों को नागरिकता देने में सबसे तेज वृद्धि दिखाई है. पेरिस-इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक में जारी ओईसीडी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में भारतीय अमीर देश की नागरिकता प्राप्त करने वाले अंतरराष्ट्रीय समूह में सबसे आगे हैं. वहीं कनाडा ने साल 2021 और 2022 के बीच नागरिकता देने के मामले में सबसे बड़ी आनुपातिक वृद्धि 174 प्रतिशतक दर्ज की है.
पिछले साल भी ओईसीडी देश की नागरिकता प्राप्त करने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या सबसे अधिक थी. यह 28 लाख थी जो साल 2021 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है. हालांकि रिपोर्ट साल 2022 के लिए मूल देश के डेटा का विस्तृत विवरण प्रदान नहीं करती है. लेकिन रिपोर्ट कहती है कि भारत ने जब 2019 से ओईसीडी देश की नागरिकता प्राप्त करने की बात आती है तो यह मुख्य मूल देश रहा है.
नागरिकता देने में सबसे आगे US
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 में लगभग 1.3 लाख भारतीयों ने ओईसीडी सदस्य देश की नागरिकता हासिल कर ली. साल 2019 में यह आंकड़ा करीब 1.5 लाख था. वहीं चीन साल 2021 में इस दौड़ में पांचवें स्थान पर आया था, क्योंकि लगभग 57,000 चीनियों ने ओईसीडी देश की नागरिकता हासिल कर ली थी. 38-सदस्यीय ओईसीडी में शीर्ष तीन देश जिन्होंने 2021 में भारतीय प्रवासियों को पासपोर्ट सौंपे, वे हैं अमेरिका (56,000), ऑस्ट्रेलिया (24,000) और कनाडा (21,000).
क्यों भारतीय ले रहे हैं विदेशी नागरिकाता?
भारत के लोग कई कारण से विदेश जा रहे हैं. कई लोग पढ़ने के लिए वीजा लेकर विदेश जाते हैं. तो कुछ देश-विदेश घूमने में आसानी हो इस कारण अन्य देशों की नागरिकता ले रहे हैं. बता दें कि अमेरिका और कनाडा जैसे देशों के पासपोर्ट होने पर कई देशों में बिना वीजा भी यात्रा की सुविधा मिल जाती है. साथ ही विदेश में सरकार अन्य देशों के नागरिकों को संवेदनशील क्षेत्रों में नौकरी का भी मौका देती है.
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