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आईएसआईएस आंतकी ? जानिए, कितनी सच्ची है ‘द केरल स्टोरी’ की कहानी

डेस्क । फिल्मों पर विवाद होना आम हो चुका है। बरसों से यही चलता आ रहा है। मगर कुछ फिल्मों का बवाल कानूनी पचड़ों से लेकर संसद तक पहुंच जाता है। जैसे, आजकल एक नई फिल्म पर उंगलियां उठाई जा. . .

डेस्क । फिल्मों पर विवाद होना आम हो चुका है। बरसों से यही चलता आ रहा है। मगर कुछ फिल्मों का बवाल कानूनी पचड़ों से लेकर संसद तक पहुंच जाता है। जैसे, आजकल एक नई फिल्म पर उंगलियां उठाई जा रही हैं। इस फिल्म का नाम है ‘द केरल स्टोरी’। मेकर्स दावा करते हैं कि ये कहानी केरल में हिंदू और क्रिश्चन महिलाओं के धर्मातरंण और सीरिया भेजे जाने की है। फिल्म का जब टीजर रिलीज हुआ तो भी विवाद हुआ और अब ट्रेलर के बाद भी ये कॉन्ट्रोवर्सी जारी है। अदा शर्मा की ‘द केरल स्टोरी’ 5 मई 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। इस बीच कांग्रेस से लेकर वाम दल फिल्म को बैन करने की मांग कर रहे हैं। सबसे ज्यादा विवाद फिल्म के इस फैक्ट पर हो रहा है कि 32000 लड़कियों को इस्लाम कबूल करवाकर ISIS में शामिल होने के लिए भेजा गया। तो चलिए आपको बताते हैं ‘द केरल स्टोरी’ पर क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं और 32 हजार लड़कियों को मुस्लिम बना सीरिया भेजे जाने वाले दावों में कितना सच है।
‘द केरल स्टोरी’ का टीजर
शुरू से इस कहानी की शुरुआत करते हैं। करीब 4 महीने पहले निर्माता विपुल अमृतलाल शाह के प्रोडक्शन हाउस में बनी ‘द केरल स्टोरी’ का टीजर रिलीज हुआ था। जिसमें बुर्के में नजर आ रहीं अदा शर्मा कहती हैं, ‘मेरा नाम शालिनी उन्नीकृष्णन था। मैं नर्स बनकर लोगों की सेवा करना चाहती थी। अब मैं फातिमा हूं। एक आईएसआईएस आतंकवादी, जो अफगानिस्तान की जेल में बंद है। मैं यहां अकेली नहीं हूं। मेरी जैसी 32 हजार लड़कियां हैं, जो कंवर्ट होकर सीरिया और यमन के रेगिस्तान में दफन हो चुकी हैं। नॉर्मल लड़की को खतरनाक आंतकवादी बनाने का खतरनाक खेल चल रहा है। वो भी खुलेआम। क्या इसे कोई नहीं रोकेगा? ये है मेरी कहानी। ये है उन 32000 लड़कियों की कहानी। ये है केरला स्टोरी।’
‘द केरल स्टोरी’ पर विवाद ही विवाद
तीन दिन पहले ‘द केरल स्टोरी’ का ट्रेलर रिलीज हुआ, जिसमें शालिनी और तीन अन्य महिलाओं के कंवर्जन की कहानी को दिखाया जाता है। ट्रेलर देखने के बाद एक बार फिर ये फिल्म विवादों में आ गई। आम यूजर्स से लेकर राजनेता तक इसका विरोध करने लगे। राज्य की सतारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे जहरीली फिल्म कह दिया। वहीं कुछ ने इसे एजेंडा ग्रसित फिल्म बताया तो कुछ ने इसकी तुलना ‘द कश्मीर फाइल्स’ से की। चलिए अब ‘द केरल स्टोरी’ पर उठने वाले सभी सवाल और उनके जवाब बताते हैं। साथ ही जानिए आखिर इस फिल्म में पेश किए गए आंकड़ों और दावों की पड़ताल करते हैं।
आरोप 1: एजेंडाग्रस्त है ये The Kerala Story?
‘द केरल स्टोरी’ पर एक आरोप ये लगा है कि इस फिल्म को प्रपोगेंडा बताया जा रहा है। कांग्रेस, सीपीआई-एम और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने तो ये भी कह दिया कि इस फिल्म को संघ परिवार के एजेंडा को पूरा करने के लिए बनाया गया है। इन आरोपों पर खुद फिल्म के निर्माता Vipul Shah ने हमारे सहयोगी वेबसाइट ‘ईटाइम्‍स’ को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ‘हमने पूरी ईमानदारी और सच्चाई से फिल्म बनाई है। ये कहानी चार लड़कियों के इस्लाम कबूल करवाने और उन्हें आतंकी संगठन ISIS में भर्ती करवाने की है। हमाने कई साल की रिसर्च के बाद इस कहानी को उठाया है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है, जिसके चलते इसे एजेंडा बताया जाए। हमने सिर्फ सच दिखाया है, अगर आप इस सच को एजेंडा कहते हैं तो ये आपकी मर्जी है।’
आरोप 2: फैक्ट्स कहां से लाए, झूठे दावे पेश करती है ये फिल्म?
‘द केरल स्टोरी’ के मेकर्स फैक्ट्स के चलते बुरे फंसते दिख रहे हैं। टीजर दावा करता है कि केरल की 32000 लड़कियों का धर्मातंरण हुआ और उन्हें सीरिया व यमन ले जाकर आंतकी संगठन में शामिल किया गया। इस आंकड़े पर लगातार मेकर्स से सवाल हो रहे हैं कि वे ये आंकड़ा कहां से लाए। इस पर फिल्म के डायरेक्टर सुदीप्‍तो सेन ने ‘ऑल्ट न्यूज’ संग बातचीत में कहा कि, ‘ये 32000 के आकंड़े उनके नहीं बल्कि केरल विधानसभा में खुद सीएम ओमन चांडी ने बताया था।’
‘इंडिया टुडे’ की एक रिपोर्ट ये बताती है कि साल 2012 में विधानसभा में सीपीआई(एम) की केके लतिका ने धर्मातंरण को लेकर सवाल किया था। जिसके जवाब में 25 जून 2012 को केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने विधानसभा में साल 2006 से साल 2012 तक के आंकड़े पेश किए थे। सीएम ने कहा था कि, ‘7713 लोगों ने साल 2006-2012 तक में इस्लाम कबूल किया, जबकि 2803 ने हिंदू धर्म अपनाया था। महिलाओं की बात करें तो साल 2006-2009 तक 2667 लड़कियों ने इस्लाम धर्म अपनाया था।’
यहां गौर करने वाली बात ये है कि सीएम ओमन चांडी के आंकड़े और फिल्म में किए जा रहे दावों में अंतर देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने तब जबरन धर्म परिवर्तन करने या ISIS में शामिल होने जैसी किसी भी बात का जिक्र नहीं किया था। ऐसे में 32000 लड़कियों के सीरिया जाने वाले दावों को लेकर कोई सॉलिड प्रूफ नहीं मिलता है।
आरोप 3: ‘द कश्मीर फाइल्स’ से हो रही है ‘द केरल स्टोरी’ की तुलना
सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने विचारधारा की आड़ में ‘द केरल स्टोरी’ की तुलना विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ से की। इन आरोपों पर फिल्म के प्रड्यूसर विपुल शाह ने एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि, ‘किसी भी दो फिल्म की तुलना करना कतई सही नहीं है। दोनों ही अलग-अलग विषयों की गंभीरता पर बनी फिल्में हैं।’
आरोप 4: केरल को बदनाम करने की कोशिश
केरल विधानसभा के कांग्रेस नेता विपक्ष वीडी सतीशन ने आरोप लगाया कि ‘द केरल स्टोरी’ एक नफरत के बीज बोने जैसी फिल्म है। ये फिल्म सीधे-सीधे राज्य को बदनाम करती है। इन आरोपों पर मेकर्स ने जवाब दिया कि इस फिल्म में एक-एक बात सबूत के आधार पर जोड़ी गई है। तीन साल की रिसर्च करके उन्होंने फैक्ट्स इकट्ठा किए हैं। ये फिल्म केरल की चार महिलाओं के मैनिपुलेटिव कन्वर्जन की कहानी को बयां करती हैं। हम तो सिर्फ सच दिखा रहे हैं। बाकि लोगों का नजरिया है जो इसपर बेवजह का विवाद कर रहे हैं।
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सौ बातों की एक बात- कहां हुई चूक?
‘द केरल स्टोरी’ के मेकर्स के साहस की दाद देते हैं कि उन्होंने गंभीर विषय को चुना। मगर मेकर्स यहां नंबर गेम में फंस गए। उनकी रिसर्च थोड़ी कमजोर निकली। अगर आप दावा कर रहे हैं कि आपने सच पर फिल्म बनाई है तो आपको हर एक बात का सबूत पेश करना पड़ेगा। आपको सटीक तथ्य दिखाने होंगे ताकि सेंसेटिव मुद्दों पर आप दर्शकों और देश को गुमराह न कर बैठें।

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