डेस्क। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का खासा महत्व है। इस मौके पर काशी यानि वाराणसी में आज देव दीपावली मनाई जा रही है। कहते है कि, देव दीपावली कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा की शुभ तिथि होती है। मान्यता के अनुसार, देव दीपावली की रात में देवता काशी में उतरते है इस दिन दीयों की रोशनी से सारा काशी जगमगाता है।
कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली के मौके पर दीपदान और गंगा स्नान करने का महत्व होता है। देव दीपावली का शुभ मुहूर्त होता है तो वहीं पर पूजा विधि और सामग्री के बारे में। साथ ही जानिए बनारस में कैसे मनाई जाती है देव दीपावली।
देव दीपावली शुभ मुहूर्त
आज देव दीपावली के लिए पूर्णिमा तिथि की शुरुआत कल 4 नवंबर रात 10 बजकर 36 मिनट पर हो गई है। वहीं पर जिसका समापन आज 5 नवंबर की शाम को 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। देव दीपावली पर प्रदोष काल में पूजा का महत्व होता है. प्रदोष काल मुहूर्त आज शाम 5 बजकर 15 मिनट से लेकर रात को 7 बजकर 50 मिनट तक है. इस मुहूर्त में आप पूजा कर सकते हैं। आप इसी मुहूर्त में दीपक जला सकते हैं. इस दिन दीपक जलाने का खास महत्व होता है।
बनारस में कैसे मनाते है देव दीपावली
बनारस में देव दीपावली का माहौल काफी सुंदर नजर आता है। यहां पर देव दीपावली के दिन वाराणसी के सभी घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं। इसके अलावा गंगा आरती के दौरान पूरा घाट रोशनी से नहाया हुआ दिखाई देता है। वहीं पर लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीपदान करते है। साथ ही नौकाओं पर बैठकर पर्यटक इस नजारे को देखने आते हैं, और ऐसा दृश्य बनता है मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। शाम के समय गंगा आरती होती है, जहाँ सैकड़ों पुजारी एक साथ दीप थाल लेकर मंत्रोच्चार करते हैं। यह दृश्य इतना भव्य होता है कि दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक सिर्फ इसे देखने बनारस आते हैं।
भगवान शिव का ध्यान करते है भक्त
इस दिन घरों, मंदिरों और घाटों पर दीप जलाकर लोग भगवान शिव को याद करते हैं. माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से जीवन से अंधकार मिटता है और सुख-समृद्धि आती है. देव दीपावली के समय बनारस की गलियों से लेकर घाटों तक भक्ति का माहौल छा जाता है।