नई दिल्ली: दो महीने से ज्यादा समय तक निगरानी और उत्तर भारत में 200 जगहों पर छापेमारी के बाद दिल्ली पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी। एक मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मोहम्मद शाहनवाज आलम और उसके दो साथी गिरफ्तार किए गए। इनका कनेक्शन आईएसआईएस से प्रेरित मॉड्यूल से है। पुलिस ने दावा किया है कि यह मॉड्यूल आने वाले त्योहारों से ठीक पहले दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर और अयोध्या में बड़ा विस्फोट करने की साजिश रच रहा था। ये फाइनल स्टेज में थे। मुंबई का छाबड़ हाउस भी इनका टारगेट था। पता चला है कि 26/11 हमले से भी बड़ी साजिश रची जा रही थी। ये पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में थे और देश में हमले के लिए रेकी भी कर चुके थे। आलम मोस्ट-वॉन्टेड लिस्ट में था और एनआईए ने पुणे से भागने के बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए 3 लाख रुपये के इनाम की घोषणा भी की थी। विशेष आयुक्त एचजीएस धालीवाल ने बताया कि आलम और उसके सहयोगी- अरशद वारसी और मोहम्मद रिजवान अशरफ इंजीनियर हैं। हैरानी की बात तो यह है कि आतंकी गतिविधियों में शामिल वारसी इस समय जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पीएचडी कर रहा है।
इनके पास से IED बनाने के लिए इस्तेमाल किए किए जाने वाले साधारण केमिकल, टाइमर, रिमोट और बैटरी सहित कई खतरनाक सामग्रियां जब्त की गई हैं। इस मॉड्यूल में शामिल संदिग्धों पर निगरानी बढ़ाने से पता चला कि दिल्ली के अलावा यूपी, उत्तराखंड, झारखंड और महाराष्ट्र में भी इनकी मौजूदगी है। इस मॉड्यूल के दो सदस्यों इमरान खान और यूनुस साकी को पुणे में गिरफ्तार किया गया था। आलम उस समय पुलिस हिरासत से भागने में सफल रहा, बाद में पता चला कि मॉड्यूल का एक महत्वपूर्ण मेंबर अशरफ, आलम के संपर्क में था।
पुलिस ने दावा किया है कि दोनों दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में आतंकी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। विस्फोटक सामग्री खरीदने के साथ ही उन्होंने दिल्ली में एक ठिकाना भी बना लिया था। 1 सितंबर को कई स्थानों पर छापे मारे गए जिसके बाद मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ। वारसी को दिल्ली, अशरफ को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। दावा किया जा रहा है कि वह एक विदेशी हैंडलर के संपर्क में था और उसने आईएसआईएस में शामिल होने की बात कही थी। वारसी के इनपुट पर रविवार रात 10 बजे दिल्ली में छापेमारी के दौरान आलम को किराये के घर से गिरफ्तार किया गया।
साधारण केमिकल से बना लेता बम
पुलिस ने बताया है कि शाहनवाज आलम साधारण केमिकल के इस्तेमाल से आईईडी बना लेता है। 31 साल के इस माइनिंग इंजीनियर के पास विस्फोटकों की व्यापक जानकारी ने एंटी-टेरर यूनिट के लोगों को भी चौंका दिया। पूछताछ में पता चला है कि आलम ने 2016 में एनआईटी विश्वेश्वरैया, नागपुर से बीटेक करते समय ब्लास्टिंग, ब्लास्ट डिजाइन और रॉक ब्लास्टिंग ऑपरेशन अच्छे से पढ़ा था और उस नॉलेज का इस्तेमाल करके IED बनाने लगा। उसके फोन से पुलिस ने आसानी से मिलने वाले रसायनों के जरिए आईईडी बनाने के तरीके और सामग्रियों के बारे में जानकारी हासिल की है।
हाइड्रोजन पराक्साइड, एसिटोन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड जैसी सामान्य तौर पर मिलने वाली सामग्रियों के जरिए क्रिस्टलीकृत विस्फोटक बनाने की पूरी प्रक्रिया पता चली है। इससे धमाका होने पर 60 मीटर के इलाके में नुकसान हो सकता है।
29 साल के अरशद वारसी का रेज्यूमे भी चौंकाने वाला है। उसने मेकेनिक्स में बीटेक के बाद मार्केटिंग में एमबीए किया है। आलम नवंबर 2016 में दिल्ली आया था और दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के अबुल फजल एन्क्लेव में रुका था। वह शाहीन बाग में धार्मिक तकरीरें सुनता था। बाद में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रभावित हो गया। उसी साल वह मोहम्मद रिजवान अशरफ से मिला। उन्होंने टेलिग्राम पर आईएसआईएस समर्थक संस्थाओं को फॉलो करना शुरू कर दिया।
28 साल के रिजवान के पिता एक शिपिंग कंपनी में काम करते थे। उसने 2009 में अरबी में आलिमियत (12वीं कक्षा के बराबर) पूरी की और 2017 में गाजियाबाद/नोएडा से आईटी में बीटेक किया।
पत्नी का कराया धर्मांतरण
IS से जुड़े विदेशी हैंडलर के कहने पर आलम ने कई राज्यों में कुछ संभावित क्षेत्रों की जानकारी हासिल की, जहां आईईडी लगाए जा सकते थे और जानमाल का नुकसान हो सकता था। ये महाबलेश्वर, गोवा, हुबली, उडुपी, चंदौली समेत कई जगहों पर गए थे। पुलिस ने इनके पास से कई मानचित्र बरामद किए हैं जिसमें कई जगह चिन्हित किए गए मिलते हैं। इन लोगों ने आईईडी के नमूने तैयार किए थे और राजस्थान, उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों में उसका टेस्ट किया था।
मार्च 2021 में आलम ने अलीगढ़ की एक लड़की बसंती पटेल से शादी की। बसंती को बाद में धर्म परिवर्तन कराया और नाम बदलकर खदीजा मरियम रख दिया।
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