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आस्ट्रेलिया से सात हजार किमी दूर जलपाईगुड़ी में कैसे पहुंचे कंगारू ?

सिलीगुड़ी। कंगारू सिर्फ और सिर्फ आस्ट्रेलिया में पाया जाता है, किसी और देश में नहीं। हां, यह अलग बात है कि किसी और देश के चिड़ियाघर में यह इक्का-दुक्का देखने को मिल जाएंगे। यह स्तनधारी जीव आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु. . .

सिलीगुड़ी। कंगारू सिर्फ और सिर्फ आस्ट्रेलिया में पाया जाता है, किसी और देश में नहीं। हां, यह अलग बात है कि किसी और देश के चिड़ियाघर में यह इक्का-दुक्का देखने को मिल जाएंगे। यह स्तनधारी जीव आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु भी है। आस्ट्रेलिया भारत से करीब सात हजार किमी दूर है। ये शाकाहारी जीव हैं। वर्ष 1773 में कैप्टन कुक ने इन्हें पहली बार देखा था और तभी से ये आस्ट्रेलिया के आम जनजीवन में आ गए।
हम आपको ये सब बातें इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि अब जो हम आगे बताने जा रहे हैं, वह जानकारी आपको हैरान कर देगी। इसे जानने के बाद आप चौंक जाएंगे कि ऐसा कैसे हुआ। कई सवाल भी मन में खड़े हो जाएंगे। तो चलिए अब बिना देर किए आपको पूरा माजरा समझाते हैं।
दरअसल कुछ दिन पहले जलपाईगुड़ी में चार कंगारू मिले हैं, इनमे से एक मृत मिला है, सवाल उठ रहा है कि आस्ट्रेलिया से करीब सात हजार किमी दूर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में कैसे पहुंचे।
सबसे पहले एक अप्रेल को जलपाईगुड़ी के एमवीआई देवी प्रसाद ने एक कंगारु को उस समय सबसे पहले देखा था, जब वह गजलडोबा से लौट रहे थे। जंगल में उन्होंने हिरण जैसे जीव को देखा, लेकिन जब नजदीक गए तो देखा कंगारु हैं। इसके बाद उन्होंने वन विभाग को सूचित किया । इसके बाद दो कंगार जलपाईगुड़ी में एक खेत में घूमते देखा गया। इस बीच गजलडोबा के नजदीक एक कंगारु का शव बरामद किया गया। गांव वालों ने वन विभाग को सूचना दी गई। अधिकारी मौके पर आए तो इन स्तनधारी जीवों को देखकर हैरत में पड़ गए। ये किसी से नहीं भागे थे। सरकार भी इन्हें नहीं लाई थी । फिर आये कैसे?

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