डेस्क। मान्यता है कि दुनिया में कुछ ऐसे चिरंजीवी लोग हैं, जिन्हें अमरता का वरदान मिला है. ये लोग धरती खत्म होने तक मौजूद रहेंगे. धर्म-शास्त्रों में भी ऐसे अमर लोगों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें भगवान ने अमर होने का वरदान दिया था.
अश्वत्थामा
कौरव-पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के बारे में कहा जाता है कि वह अमर है. महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों की ओर से युद्ध किया था और अपने पिता द्रोणाचार्य के वध का प्रतिशोध लेने के लिये उसने द्रौपदी के सोते हुए पुत्रों का वध कर दिया था. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि दुनिया के अंत तक वह यहीं भटकता रहेगा. माना जाता है इस श्राप की वजह आज भी यह महायोद्धा कहीं भटक रहा है.
भगवान हनुमान
रामायण की कथा के अनुसार माता सीता ने भगवान हनुमान की भक्ति और समर्पण को देखकर उन्हें अमरता का वरदान दिया. भगवान हनुमान को कलियुग का जाग्रत देवता भी कहा जाता है. मान्यता है कि हनुमान जी की सच्चे मन से भक्ति करने पर हर मनोकामना पूरी हो जाती है.
राजा बलि
राजा बलि को भक्त प्रह्लाद का वंशज माना जाता है. भगवान विष्णु ने जब वामन अवतार राजा बलि की परीक्षा ली थी तब उनकी निष्ठा देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था. माना जाता है आज भी राजा बलि जीवित अवस्था में पाताल लोक में वास कर रहे हैं.
विभीषण
लंकापति रावण के छोटे भाई विभीषण ने धर्म का पक्ष लेते हुए भगवान श्रीराम का साथ दिया था. उसने रावण को समझाया भी था कि वह श्रीराम से युद्ध ना करें लेकिन रावण नहीं माना. विभीषण की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु राम ने विभीषण को अमरत्व का वरदान दिया. माना जाता है आज भी विभीषण पृथ्वी लोक पर हैं.
परशुराम
चिरंजीवियों में परशुराम का नाम भी आता है, साथ ही उन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है. वे शिव के परम भक्त थे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें फरसा और अमरता का वरदान दिया था. माना जाता है कि परशुराम आज भी हैं.
वेद व्यास
चारों वेदों के रचनाकार महर्षि वेदव्यास चारों वेदों के बारे में भी उल्लेख है कि उन्हें भी अमरता का वरदान प्राप्त है. वेद व्यास ने ही महाभारत महाकाव्य लिखा था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यूनिवर्स टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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