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उद्धव ठाकरे का ‘खेला’ खत्म करने के करीब पहुंचे एकनाथ शिंदे,  गुवाहाटी में होटल के बाहर टीएमसी ने दिया धरना

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मुंबई । उद्धव ठाकरे की सरकार का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव से अपने विधायकों से भावुक अपील की और मुख्यमंत्री आवास तक खाली कर दिया। लेकिन ऐसा लगता है कि उद्धव ठाकरे की इस अपील का उनके विधायकों पर कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। एकनाथ शिंदे के समर्थन में विधायकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। असम के गुवाहाटी स्थित रैडिसन ब्लू होटल में चार और विधायक पहुंच गए हैं। इसके साथ ही एकनाथ शिंदे उस आंकड़े के करीब पहुंच गए हैं जहां उनके खिलाफ दल बदल कानून लागू नहीं होगा और वह खुद को विधायक दल का नेता घोषित कर सकते हैं।
इधर महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की एंट्री हो गई है। 41 शिवसेना और 9 निर्दलीय विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे जिस होटल में ठहरे हैं, उसके बाहर टीएमसी  कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। इनका कहना था कि विधायकों की खरीद-फरोख्त की जा रही है। इसे रोका जाए। पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया है।
बता दें कि शिवसेना के पास कुल 55 विधायक हैं ऐसे में एकनाथ शिंदे के पास दो तिहाई विधायक यानि 37 होने चाहिए तभी उनके खिलाफ दल बदल का कानून लागू नहीं होगा और शिवसेना को फाड़ में बांट सकते हैं और खुद को विधायक दल का नेता भी घोषित कर सकते हैं। रिपोर्ट की मानें तो शिंदे के साथ गुवाहाटी में कुल 42 विधायक हैं, जिसमे शिवसेना के 34 और निर्दलीय 8 विधायक उनके साथ हैं। माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के समर्थन में तीन और विधायक हैं जो मुंबई में हैं। शिंदे के पास शिवसेना के 36 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो चुका है, लिहाजा सिर्फ एक और विधायक के साथ आने से वह जादुई आंकड़े के पास पहुंच सकते हैं।
बता दें कि विधायक दीपक केसकर, मंगेश कुडालकर, सदा सारवंकर आज सुबह की फ्लाइट से मुंबई से गुवाहाटी पहुंचे हैं। ऐसे में अब शिंदे को सिर्फ एक और विधायक के समर्थन की जरूरत है, जिसके बाद उनके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई नहीं की जा सके। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और शिवसेना ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं कि वह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार हैं, ताकि महाराष्ट्र में सियासी संकट को खत्म किया जा सके। शिवसेना के मुखपत्र में छपे लेख में कहा गया है कि विद्रोही विधायक शिवसेना के टिकट पर चुनाव जीते हैं, ऐसे में अगर वह वापस नहीं आते हैं तो वह हमेशा के लिए पूर्व विधायक हो जाएंगे।


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