उपेंद्र कुशवाहा का जेडीयू से इस्तीफा : 18 साल में तीन बार छोड़ा नीतीश का साथ; दूसरी बार बनाई नई पार्टी
पटना। जनता दल यूनाइटेड (JDU) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी राह अलग कर ली है। उन्होंने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल की घोषणा कर दी है। वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। 18 साल में ये तीसरी बार है जब उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़ा है। दूसरी बार उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई है।
उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि JDU के कार्यकर्ता परेशान हैं। मुख्यमंत्री जी ने शुरुआत में अच्छा काम किया, लेकिन आखिर में उन्होंने जो किया वो अच्छा नहीं हुआ। नीतीश जी जिस रास्ते पर चल रहे हैं। वो पार्टी के लिए सही नहीं है।
नीतीश जी ने पार्टी को गिरवी रख दिया
मैंने जब पार्टी में सवाल उठाया तो मुझे मुख्यमंत्री जी ने कह दिया पार्टी छोड़कर चले जाइए। नीतीश जी के पास है क्या। उनके पास अब कुछ नहीं बचा है। नीतीश जी ने पार्टी को गिरवी रख दिया। मैं उनसे क्या हिस्सा मांगू। उनके हाथ में शून्य है। जीरो है।
पड़ोसी के घर में उत्तराधिकारी ढूंढ रहे नीतीश
नीतीश जी पड़ोसी के घर में उत्तराधिकारी ढूंढ रहे हैं। अगर वो अतिपिछड़ा समाज से किसी को चुनते तो हमें कोई परेशानी नहीं होती। उपेंद्र कुशवाहा नहीं पसंद थे तो कोई बात नहीं, लेकिन परिवार में ही ढूंढना था। बीजेपी का साथ छोड़कर नया गठबंधन बना लिया गया। उस वक्त भी हमने साथ दिया। उपेंद्र कुशवाहा पिछले 2 दिनों से JDU के अपने नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में फैसला लिया गया है कि नई पार्टी बनाएंगे और उसके अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा होंगे।
पहले भी 2 बार नीतीश का साथ छोड़ चुके हैं कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा 2 बार पहले भी नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके हैं। साल 2005 में जब बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू की अगुआई वाली एनडीए बिहार की सत्ता में आई तब कुशवाहा अपनी ही सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद कुशवाहा और नीतीश के बीच दूरियां बढ़ गईं। उन्होंने जेडीयू को छोड़कर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि साल 2010 में नीतीश के कहने पर कुशवाहा ने घर वापसी की। उपेंद्र एक बार फिर जेडीयू में आ गए, लेकिन ज्यादा दिन तक साथ नहीं रहे।
साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) बना ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को अपना समर्थन भी दे दिया। बिहार की तीन लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा और तीनों सीटें जीत लीं। इसके इनाम में उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली और वो मानव संसाधन राज्य मंत्री बने। साल 2018 आते-आते कुशवाहा की पार्टी ढह गई। फिर वे 2019 लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ गए, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। फिर उन्होंने अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया।
अब तक 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पूरी राजनीति करियर में 9 बार चुनाव लड़ा। जिसमें 7 बार वह चुनाव हारे हैं। महज दो बार ही उन्होंने चुनाव जीता है। पहली बार वे 2000 में समता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वैशाली जिले की जंदाहा विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे।
वहीं, दूसरी बार उपेंद्र कुशवाहा 2014 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट जीतकर सांसद बने। इसके अलावा 2010 में वह राज्यसभा के सांसद बने और 2021 में विधान परिषद के सदस्य बने। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर यह रिकॉर्ड जरूर है कि वह चारों सदनों के सदस्य रह चुके हैं।
ललन सिंह बोले- वो अति महत्वाकांक्षी, अब जहां रहें स्थिर रहें
उपेंद्र कुशवाहा के बाद JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनको जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सुना है वो नई पार्टी बना रहे हैं। उन्हें हमारी ओर से शुभकामनाएं हैं। वो इसके पहले भी JDU को कई बार छोड़कर जा चुके हैं। उनकी कोई वैल्यू नहीं थी, लेकिन JDU ने उन्हें किसी लायक बनाया। वो जहां भी जाएं स्थिर से रहें। उपेंद्र कुशवाहा अति महत्वाकांक्षी हैं। कुछ दिनों बाद देख लीजिएगा उनका क्या हश्र होता है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिसंबर से वो क्या कर रहे थे। कहां-कहां गए। दिल्ली से पटना। पटना से दिल्ली लगे रहे। वो जा रहे थे तो जाएं, इसलिए हम कह रहे थे। निशाना उनका दिल्ली पर था और बता रहे थे कि JDU कमजोर हो रही है। उनके कुनबे के कई साथी हमसे मिलते रहे। उन लोगों ने ही बताया कि ये अति महत्वाकांक्षी हैं। हम इनके साथ कहीं जाने वाले नहीं हैं।
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