नई दिल्ली। भारत में एकीकृत चुनाव प्रणाली लागू करने के लिए एक बड़ी खबर आ रही है। संसद में बुलाए गए विशेष सत्र के बाद मोदी सरकार कभी भी लोकसभा भंग करके चुनाव आयोग को चुनाव कराने की सिफारिश कर सकती है। संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर को बुलाया गया है। इस सत्र में एक देश, एक चुनाव को लेकर बड़ी चर्चा संभावित बताई जा रही है।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव अभियान को पूरी तरह से लोकसभा चुनाव पर केंद्रित कर रखा है। वह कई बार विभिन्न मंचों से यह बात दोहरा चुकी है कि तैयारी लोकसभा की हो रही है। ऐसे में देश में करीब एक दर्जन राज्यों का विधानसभा चुनाव कराने की संभावना बहुत की प्रबल हो गई है। भाजपा की इस चुनाव के साथ क्षेत्रीय क्षत्रपों का प्रभाव कम करने की तैयारी भी है। फिर चाहे वह अपने पार्टी के हों या फिर क्षेत्रीय पार्टी।
लोकसभा के साथ इन राज्यों में होगा विधानसभा चुनाव
राजस्थान
राजस्थान में विधानसभा चुनाव दिसंबर में संभावित है। ऐसे में लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां लोकसभा चुनाव भी साथ ही होगा। राजस्थान विधानसभा की 200 सीटें हैं और लोकसभा की 25 सीट है। यहां कांग्रेस की सरकार है। भाजपा ने सोमवार को ज्योति मिर्धा को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। राजनीति में मिर्धा परिवार का एक बड़ा आकार रहा है। मिर्धा का पार्टी में शामिल होना लोकसभा चुनाव की तैयारी का साफ इशारा कर रहा है।
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव दिसंबर में संभावित है। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां लोकसभा चुनाव भी साथ ही होगा। मध्यप्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं और लोकसभा की 29 सीट है। यहां भाजपा की सरकार है।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव दिसंबर में संभावित है। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां लोकसभा चुनाव भी साथ ही होगा। छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटें हैं और लोकसभा की 11 सीट है। यहां कांग्रेस की सरकार है।
तेलंगाना
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव दिसंबर में संभावित है। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां लोकसभा चुनाव भी साथ ही होगा। तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटें हैं और लोकसभा की 17 सीट है। यहां टीआरएस की सरकार है।
मिजोरम
मिजोरम में विधानसभा चुनाव दिसंबर में संभावित है। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां लोकसभा चुनाव भी साथ ही होगा। मिजोरम में विधानसभा की 40सीटें हैं और लोकसभा की एक सीट है। यहां भाजपा समर्थित सरकार है।
ओडिशा
ओडिशा में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां भी लोकसभा चुनाव विधानसभा के साथ कराया जा सकता है। यहां 147 विधानसभा और 21 लोकसभा सीट है। यहां बीजेडी की सरकार है।
आंधप्रदेश
आंधप्रदेश में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां भी लोकसभा चुनाव विधानसभा के साथ कराया जा सकता है। यहां 175 विधानसभा और 25 लोकसभा सीट है। यहां वाईएसआर की सरकार है।
सिक्किम
सिक्किम में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं। ऐसे में अगर लोकसभा भंग हो जाती है तो यहां भी लोकसभा चुनाव विधानसभा के साथ कराया जा सकता है। यहां 32 विधानसभा और एक लोकसभा सीट है। यहां भाजपा समर्थित सरकार है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं। ऐसे में लोकसभा के साथ यहां विधानसभा चुनावा कराया जा सकता है। यहां 40 विधानसभा सीट और एक लोकसभा सीट है। यहां भाजपा समर्थित सरकार है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं। ऐसे में लोकसभा के साथ यहां विधानसभा चुनावा कराया जा सकता है। यहां 288 विधानसभा और 48 लोकसभा सीट है। यहां भाजपा समर्थित सरकार है। यहां भी सरकार भंग की जा सकती है।
हरियाणा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं। ऐसे में लोकसभा के साथ यहां विधानसभा चुनावा कराया जा सकता है। यहां 90 विधानभा और 10 लोकसभा सीट है। यहां भाजपा की सरकार है। यहां भी सरकार भंग की जा सकती है।
जम्मू और कश्मीर
जम्मू और कश्मीर को काफी लंबे समय से विधानसभा चुनाव का इंतजार है। पांच साल में अब तक यहां विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। लोकसभा चुनाव होने पर विधानसभा के चुनाव की संभावना यह बढ़ जाती है। परिसीमन हो चुका है। चुनावी तैयारी भी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव क्या होगा। जम्मू और कश्मीर में लोकसभा की कुल पांच सीटें हैं। विधानसभा की यहां 90 सीटें हैं।
इंडिया अलायंस को अलग थलग करने की तैयारी
कांग्रेस पार्टी के साथ सहित हाल ही में बनाए गए इंडिया अलायंस में इस समय देश की 28 राजनीतिक पार्टियां हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव की एक साथ घोषणा होते ही सभी क्षेत्रीय पार्टियां छितरा जाएंगी। इससे भाजपा को जबरदस्त फायदा होगा। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होती है उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी विधानसभा चुनाव में आमने सामने आ सकती है। अगर दोनों एक साथ भी आते हैं तो भाजपा ही मुख्य मुकाबले में होगी। ऐसे में फायदा होना तय है।
दूसरा कांग्रेस अभी सिर्फ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थी। ऐसा होते ही लड़ाई चौतरफा हो जाएगी। इससे नुकसान तय है। सबसे प्रमुख बात ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र सहित अन्य छोटे प्रदेशों में राज कर रही क्षेत्रीय पार्टियों का केंद्र विधानसभा चुनाव होगा न की लोकसभा चुनाव। इससे लोकसभा में भाजपा को जबरदस्त फायदा हो सकता है।
भाजपा का जहां क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन है। वहां भाजपा लोकसभा और क्षेत्रीय पार्टी वहां के विधानसभा पर केंद्रित हो सकती है। चुनाव एक साथ कराने का एक संकेत यह भी है कि भाजपा अपने ही क्षेत्रीय नेताओं का कद कायदे में रखने का प्रयास कर रही है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में रियाया को रियासत समझने वाले नेताओं को दरकिनार कर दिया है।
Comments are closed.