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ओडिशा ट्रेन एक्सीडेंट : 5 दिन बाद जिंदा निकला शख्स, मरा समझकर छोड़ दिया था लाशों के ढेर में

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बालासोर। जहां पर एक तरफ तीन ट्रेनों के हादसे के बाद से व्यवस्थाएं धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है वहीं पर हादसे में मृत यात्रियों को उनके परिजन ढूंढने में लगे है। ऐसे में जहां पर लोगों को तस्वीर देखकर भी अपने खास को खोजने और लाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं पर एक किस्सा सामने आया है। जिसमें घटना के पांच दिन बाद लाशों के ढेर से शख्स जिंदा मिला है।
शख्स के पिता ने सुनाई कहानी
यहां पर जिंदा निकले शख्स के पिता हेलाराम मलिक ने बताया कि, , ‘मेरे बेटे ने 2 जून को संतरागाची से काेरोमंडल ट्रेन पकड़ी। वह चेन्नई जा रहा था। करीब 7:30 बजे उसने मुझे फोन किया किया ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया है और वह बुरी तरह जख्मी हो गया है। मुझे फोन करने के बाद वह बेहोश हो गया।’ ‘लोगों ने उसे मरा हुआ समझकर बालासोर स्कूल में बनाए मुर्दाघर में रख दिया गया। उसके ऊपर लाशें रख दी गईं।
जब उसे होश आया तो उसने अपना हाथ हिलाया। लोगों ने देखा कि वह जिंदा है और उसे अस्पताल ले गए। बेटे के फोन के बाद हम उसे ढूंढने पहुंच गए थे। आखिरकार वह हमें बालासोर अस्पताल में मिला।’ पिता ने आगे बताया कि, मैं अपने बेटे को हमेशा के लिए खो सकता था। मेरा बेटा दो साल बाद घर लौटा था। वह 15 दिन हमारे साथ रहा और फिर चला गया। वह दोबारा जाएगा या नहीं, यह उसकी मर्जी होगी। पर नौकरी के लिए घऱ से बाहर ना जाए।
मुआवजे के नाम पर मिले 2000 के नोट
आपको बताते चले कि, बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने हादसे के पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर 2000 रुपए के नोट दिए हैं। यहां पर मजूमदार ने कहा कि मुआवजा मिलना अच्छी बात है, लेकिन 2000 रुपए के नोट देना कितना सही है, जब इन नोटों को एक्सचेंज किए जाने की प्रक्रिया जारी है। अब इस परिवार को बैंक जाकर इन नोटों को बदलवाना पड़ेगा, क्या इससे इस परिवार की मुश्किलें नहीं बढ़ जाएंगीं।


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