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कालियाचक में 21,000 एकड़ भूमि में होती है रेशम की खेती, केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने की किसानों से मुलाकात, सुनी समस्याएं

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मालदा। केंद्र सरकार के तहत नीति आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल मालदा के रेशम उत्पादन प्रणाली और किसानों की विभिन्न समस्याओं की देखरेख के लिए मालदा आया है। शुक्रवार को मालदा के कालियाचक केंद्र के प्रतिनिधिमंडल ने रेशम की खेती प्रणाली के सभी विवरणों का निरीक्षण किया। केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने शहतूत के पेड़ों और लार्वा की खेती, रेशम कोकून के उत्पादन और बाजार की स्थितियों की भी निगरानी की। इसके अलावा उन्होंने कालियाचक के रेशम किसानों से भी बात की।
केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने किसानों की विभिन्न मांगों को सुना। इस अवसर पर टीम में नीति आयोग की प्रतिनिधि मधुमिता शर्मा, मालदा रेशम उत्पादन विभाग के उप निदेशक अभिजीत गोस्वामी और केंद्रीय रेशम बोर्ड के दो वैज्ञानिक डॉ जी श्रीनिवास और डॉ. बी. भी नायडू शामिल उपस्थित थे।
पार्टी के नेतृत्व वाले नीति आयोग की प्रतिनिधि मधुमिता शर्मा ने कहा कि “डॉ. बी. भी नायडू केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। प्रशासन सूत्रों के अनुसार अकेले मालदा जिले के कालियाचक 1, 2 और 3 प्रखंडों में लगभग 21,000 एकड़ भूमि में रेशम की खेती की जाती है। साल के छह मौसमों में औसतन 1500 मेट्रिक टन रेशमी धागे का उत्पादन होता है। इस खेती से करीब पांच लाख लोग जुड़े हुए हैं।
हालाँकि, यह खेती भूमि की मात्रा में पहले की तुलना में अधिक है, लेकिन विभिन्न समस्याओं के कारण इसकी मात्रा में कमी आई है। इन समस्याओं के समाधान के लिए किसान लंबे समय से कई मांगें कर रहे हैं। केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने भी आज उन मांगों को सुना।
मधुमिता शर्मा के अनुसार, राज्य में मालदा और मुर्शिदाबाद जिले रेशम उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने इस बात की जांच की है कि रेशम किसान कैसे खेती कर रहे हैं, कैसे रेशम के धागे का उत्पादन कर रहे हैं, उन्हें क्या सरकारी सहायता मिली है, उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र के निर्देशन में पूरे देश में रेशम की खेती पर सर्वे किया जा रहा है। वे कालियाचक क्षेत्र में रेशम उत्पादकों और किसानों की स्थिति की जांच कर भारत सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। इसमें इस बात का जिक्र होगा कि इस उद्योग के लिए और क्या चाहिए, कौन सी नई परियोजनाएं शुरू की जा सकती हैं, किसानों के लाभ के लिए और क्या किया जा सकता है। रेशम किसानों के अनुसार “मालदा में रेशमी कपड़ा बनाने की फैक्ट्री स्थापित की जानी चाहिए। जिले के रेशम किसान अपना रेशम सीधे उस कारखाने को बेच सकेंगे। इस तरह वे किरायों की ताकत से बच सकेंगे। इसी तरह जिले में उत्पादित रेशमी धागों से जिले में कपड़ा बनाया जाएगा।साथ ही आज किसानों ने केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के अधिकारियों को इसी तरह की कई अन्य मांगों से अवगत कराया।


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