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केंद्र ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर लगाया बैन, टेरर लिंक के सबूत; 8 सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध

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नई दिल्‍ली। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इससे जुड़ी संस्‍थाओं को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार सुबह इस संबंध में अधिसूचना जारी की। 27 सितंबर 2022 की तारीख वाली अधिसूचना में इन संगठनों के बारे में विस्‍तार से बताया गया है। इन सभी को अगले पांच साल के लिए ‘गैरकानूनी एसोसिएशन’ घोषित किया गया है। नोटिफिकेशन में केंद्र सरकार ने प्रतिबंध के पीछे बिंदुवार वजहें गिनाई हैं। गृह मंत्रालय ने बताया है कि पीएफआई व अन्‍य संगठनों ने किस तरह भारत में आतंक फैलाया। भारत सरकार ने इन संगठनों के ’10 गुनाह’ सामने रखे हैं। आप भी पढ़‍िए, PFI और उससे जुड़े संगठनों पर बैन की बड़ी वजहें।
PFI जुड़े इन संगठनों पर भी प्रतिबंध
1. रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)
2. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)
3. ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)
4. नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)
5. नेशनल विमेन्स फ्रंट
6. जूनियर फ्रंट
7. एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
8. रिहैब फाउंडेशन
भारत सरकार ने गिनाए 10 गुनाह
‘पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के नेता रहे हैं तथा पीएफआई का सम्बन्ध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी रहा है, ये दोनों संगठन प्रतिबंधित संगठन हैँ। पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों, जैसे कि इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्पर्क के कई उदाहरण हैं। पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या सम्बद्ध संस्थायें या अग्रणी संगठन, चोरी-छिपे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय के कट्ररपंथ को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि इसके कुछ सदस्य अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड चुके हैं। पीएफआई कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है और यह देश की संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है तथा बाह्य स्रोतों से प्राप्त धन और वैचारिक समर्थन के साथ यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।
विभिन्‍न मामलों में अन्वेषण से यह स्पष्ट हुआ है कि पीएफआई और इसके काडर बार-बार हिंसक और विध्वंसक कार्यों में संलिप्त रहे है। जिनमें एक कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों सेजुड़े लोगों की निर्मम हत्या करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना आदि शामिल हैं।
पीएफआई काडर कई आतंकवादी गतिविधियों और कई व्यक्तियों यथा श्री संजीत (केरल, नवम्बर, 202), श्री वी. रामलिंगम (तमिलनाडु, 209), श्री नंदू (केरल, 202), श्री अभिमन्यु (केरल, 208), श्री बिबिन (केरल 207), श्री शरत (कर्नाटक 207), श्री आर. रुद्रेश (कर्नाटक 206), श्री प्रवीण पुजारी (कर्नाटक 206), श्री शशि कुमार (तमिलनाडु, 206) और श्री प्रवीण नेत्तारू ( कर्नाटक, 2022) की हत्या में शामिल रहे हैं और ऐसे अपराधिक कृत्य और जघन्य हत्याएं, सार्वजानिक शांति को भंग करने और लोगों के मन में आतंक का भय पैदा करने के एकमात्र उद्देश्य से की गई है।
पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्पर्क के कई उदाहरण हैं और पीएफआई के कुछ सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए हैं और सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान में आतंकी कार्यकलापों में भाग लिए हैं। इनमें से पीएफआई के कुछ काडर इन संघर्ष क्षेत्रों में मारे गए और कुछ को राज्य पुलिस तथा केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया। इसके अलावा, पीएफआई का सम्पर्क प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी रहा है।
पीएफआई के पदाधिकारी और काडर तथा इससे जुड़े अन्य लोग बैंकिंग चैनल, हवाला, दान आदि के माध्यम से सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र के तहत भारत के भीतर और बाहर से धन इकट्ठा कर रहे हैं और फिर उस धन को वैध दिखाने के लिए कई खातों के माध्यम से उसका अंतरण, लेयरिंग और एकीकरण करते हैं तथा, अंततः ऐसे धन का प्रयोग भारत में विभिन्‍न आपराधिक, विधिविरुद्ध और आतंकी कार्यो के लिए करते हैं।
पीएफआई की ओर से उनसे सम्बंधित कई बैंक खातों में जमा धन के स्रोत खाताधारकों के वित्तीय प्रोफाइल से मेल नहीं खाते और पीएफआई के कार्य भी उसके घोषित उद्देश्यों के अनुसार नहीं पाए गए, इसलिए आयकर विभाग ने, आयकर अधिनियम, 964 ( 964 का 3) की धारा 42-/& या 2-// के तहत मार्च, 202 में इसका पंजीकरण रद्द कर दिया। इन्हीं कारणों से , आयकर विभाग ने, आयकर अधिनियम, 496 की धारा 42-/ या 2-/ के तहत, रिहैब इंडिया फाउन्डेशन के पंजीकरण को भी रद्द कर दिया।
उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात राज्य सरकारों ने पीएफआई को प्रतिबंधित करने की अनुशंसा की है।
पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या सम्बद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन देश में आतंक फैलाने और इसके द्वारा राष्ट्र की सुरक्षा और लोक व्यवस्था को खतरे में डालने के इरादे से हिंसक आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं तथा पीएफआई की राष्ट्र- विरोधी गतिविधियां राज्य के संवैधानिक ढ़ांचे और सम्प्रभुता का अनादर और अवहेलना करते हैं, और इसलिए इनके विरुद्ध तत्काल और त्वरित कार्रवाई अपेक्षित है।
केंद्रीय सरकार का यह मत है कि यदि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों के विधिविरुद्ध क्रियाकलापों पर तत्काल रोक अथवा नियंत्रण न लगाया गया, तो पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या सम्बद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन इस अवसर को निम्नलिखित हेतु प्रयोग करेंगे – अपनी विध्वंसात्मक गतिविधियों को जारी रखेंगे, जिससे लोक व्यवस्था भंग होगी और राष्ट्र का संवैधानिक ढांचा कमजोर होगा; आतंक आधारित पश्चगामी तंत्र (रिग्रेसिव रिजीम)को प्रोत्साहित एवं लागू करेंगे; एक वर्ग विशेष के लोगों में देश के प्रति असंतोष पैदा करने के उद्देश्य से उनमें राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काना और उनको कट्टरवाद के प्रति उकसाना जारी रखेंगे; देश की अखण्डता, सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए खतरा उत्पन्न करने वाली गतिविधियों को और तेज करेंगे।
केंद्रीय सरकार का उपर्युक्त कारणों की वजह से यह दृढ़ मत है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए, पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों को तत्काल प्रभाव से विधिविरुद्ध संगम घोषित करना आवश्यक है; इसलिए अब, केंद्रीय सरकार, विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 967 (4967 का 37) की धारा 3 की उप-धारा (॥) द्वारा प्रदत्त्‌ शक्तियों को प्रयोग करते हुए, एतट्ठारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसके सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों, रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया (सीएफआई), आल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ हयूमन राइट्स आर्गेनाईजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल सहित को “विधिविरुद्ध संगम” घोषित करती है।’
केंद्रीय सरकार का यह दृढ़ मत है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों को तत्काल प्रभाव से विधिविरुद्ध संगम घोषित करना आवश्यक है और उक्त अधिनियम की धारा 3 की उप-धारा (3) के परंतुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्रीय सरकार एतद्दारा यह निदेश देती है कि यह अधिसूचना, इसके राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के लिए लागू होगी, जो उक्त अधिनियम की धारा 4 के तहत जारी किए जाने वाले किसी भी आदेश के अध्यधीन होगी।
उग्रवाद को प्रोत्‍साहन मिलने की आशंका
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ‘रिहैब इंडिया, PFI के सदस्‍यों के जरिए धन जुटाता है। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्‍पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन (केरल) के कुछ सदस्‍य PFI के भी सदस्‍य हैं। PFI के नेता जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नैशनल कन्‍फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन और नैशनल विमंस फ्रंट की गतिविधियों की निगरानी/समन्‍वय करते हैं। PFI ने समाज के विभिन्‍न वर्गों के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए इन संगठनों की स्‍थापना की जिसका एकमात्र उद्देश्‍य इसकी सदस्‍यता, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना है। इन संगठनों और PFI के बीच ‘हब और स्‍पोक’ जैसा रिश्‍ता है। PFI हब के रूप में काम करता है और इससे जुड़े संगठन ‘जड़’ और ‘शिराओें’ की तरह काम करते हैं। PFI और इसके सहयोगी संगठन सार्वजनिक तौर पर ‘सामाजिक-आर्थिक’ और ‘राजनीतिक’ संगठन के रूप में काम करते हैं। हालांकि इनका गुप्‍त एजेंडा समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करता है। इस तरह ये देश के संवैधानिक ढांचे के प्रति ‘घोर अनादर’ दिखाते हैं। पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या सम्बद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन विधिविरुद्ध क्रियाकलापों में संलिस रहे हैं, जो देश की अखंडता, सम्प्रभुता और सुरक्षा के प्रतिकूल है और जिससे शांति तथा साम्प्रदायिक सदभाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।’


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