साल 1999 की फिल्म ‘ताल’ में ऐश्वर्या राय की छोटी बहन का किरदार निभाने वाली जिविधा शर्मा को असली पहचान 2002 में रिलीज हुई म्यूजिकल हिट फिल्म ‘ये दिल आशिकाना’ से मिली। करण नाथ के साथ उनकी जोड़ी को पसंद किया गया, और फिल्म सिल्वर जुबली रही। उस वक्त वे ‘हॉट प्रॉपर्टी’ बन चुकी थीं। लेकिन आज वे पूरी तरह से स्क्रीन से गायब हैं।
💔 क्यों गायब हुईं स्क्रीन से? खुद जिविधा ने बताया
2025 में दिए गए एक इंटरव्यू में जिविधा ने अपनी कहानी खुलकर और बिना लाग-लपेट के सुनाई। उन्होंने बताया कि:
- कॉम्प्रोमाइज (समझौता) करने का दबाव था।
- कास्टिंग काउच के अनुभव झेले।
- गलत तरीके से छूने और नज़दीक आने की कोशिशें की गईं।
- और जब उन्होंने इंकार किया, तो उन्हें इंडस्ट्री से बाहर कर दिया गया।
🔥 “कहा गया – ‘बाकी सब तो करते हैं, तुम क्या खास हो?'”
जिविधा ने कहा कि जैसे ही उन्होंने “ना” कहा, धीरे-धीरे प्रोजेक्ट्स हाथ से निकलने लगे। कई लोगों ने यहां तक कहा:
“तुममें ऐसा क्या खास है कि तुम कॉम्प्रोमाइज नहीं करोगी?”
ये बातें उन्हें तोड़ कर रख देती थीं। उन्होंने माना कि इस वजह से उन्होंने खुद पर शक करना शुरू कर दिया।
😔 “सिल्वर जुबली फिल्म दी, फिर भी अवॉर्ड फंक्शन में नहीं बुलाया गया”
जिविधा के मुताबिक:
- ‘ये दिल आशिकाना’ साल की सुपरहिट फिल्म थी।
- इसके बावजूद न तो उन्हें किसी अवॉर्ड फंक्शन में बुलाया गया, न कोई नॉमिनेशन मिला।
- उन्होंने कहा, “मैं रातोंरात स्टार बनी थी, लेकिन मेरे साथ आउटसाइडर जैसा बर्ताव किया गया।”
🧠 मानसिक स्थिति पर असर
लगातार रिजेक्शन, अपमान और नजरअंदाजी ने उनका कॉन्फिडेंस तोड़ दिया। वे कहती हैं:
“मैं सोचती थी कि क्या इंडस्ट्री में बने रहने के लिए समझौता जरूरी है? क्या मैं इसके लायक नहीं हूं?”
📺 फिल्मों के बाद टीवी और फिर गुमनामी
- हिंदी फिल्मों से दरकिनार होने के बाद उन्होंने पंजाबी फिल्मों और फिर टीवी शोज़ की ओर रुख किया।
- साल 2016 में वे ऋतिक रोशन की फिल्म ‘मोहनजोदड़ो’ में उनकी मां का रोल निभाती नजर आईं।
- इसके बाद लेख टंडन की फिल्म ‘फिर उसी मोड़’ में दिखीं।
- अब वे स्क्रीन से पूरी तरह गायब हैं।
🧭 एक सच्चाई जो बॉलीवुड के काले सच को उजागर करती है
जिविधा की कहानी केवल एक एक्ट्रेस की व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि उस सिस्टम की पोल खोलती है, जहां प्रतिभा से ज्यादा ‘तैयारी’ (समझौता) मायने रखती है।
📌 जिविधा शर्मा एक उदाहरण हैं
- जिविधा शर्मा एक उदाहरण हैं उन कलाकारों का, जो ईमानदारी से काम करना चाहते हैं लेकिन इंडस्ट्री की गंदी सच्चाइयों से हार मान लेते हैं।
- उनके अनुभव हमें याद दिलाते हैं कि ग्लैमर की चकाचौंध के पीछे संघर्ष, अपमान और अकेलापन भी छिपा होता है।
🔴 “हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती, और हर गुमनाम चेहरा असफल नहीं होता।”