नई दिल्ली। बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पिछले एक महीने से राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में हैं। टीवी चैनलों पर उनके दावे गूंज रहे हैं। इस समय सोशल मीडिया पर धाम में 125 जोड़े के सामूहिक विवाह की तस्वीरें वायरल हैं। खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान बेटियों को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। पिछले दिनों पूर्व सीएम कमलनाथ, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हाथ जोड़कर बात करने वाली तस्वीरें भी आपने देखी होंगी। पिछले एक महीने में फिल्म और राजनीति जगत की कई हस्तियां उनके दरबार में हाजिरी लगा चुकी हैं। आस्था से इतर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। कोई बिना कुछ कह कैसे मन की बात जान लेता है? क्या यह जादू है, चमत्कार है, ईश्वर कृपा है या क्या है? जब बागेश्वर बाबा के दावे चारों तरफ गूंजने लगे तो समाज से ही कुछ लोग आगे आए और उन्होंने कहा कि इसमें कोई चमत्कार नहीं बस माइंड गेम है। बाबा को चुनौती देने वालों की भी चर्चा होने लगी। आप भी जानना चाहते होंगे कि मराठी पगड़ी में युवा जोश के साथ जो 26-27 साल के बाबा मुस्कुराते हुए सनातन की बातें कर रहे हैं, उन पर सवाल उठाने वाले ये लोग कौन हैं? ऐसे 1-2 नहीं, कुल पांच लोगों का यहां हम जिक्र करेंगे जिन्होंने बागेश्वर बाबा के बारे में अपना अलग दावा किया है।
करन सिंह ने कोहली -ऋतिक को हैरान कर दिया
कोई इन्हें दिमाग पढ़ने वाले तो कोई जादूगर के रूप में जानता है। आगे बढ़ने से पहले जान लीजिए कि विराट कोहली, आमिर खान, ऋतिक रोशन जैसे सितारों के दिमाग को पढ़कर करन सिंह को काफी प्रसिद्धि मिली। उनके कई वीडियो वायरल हो चुके हैं। (सबसे आखिरी स्लाइड में एक ऐसा ही वीडियो देखिए) करन सिंह विराट से कोई एक नाम दिमाग में सोचने के लिए कहते हैं। वह बोलते हैं कि वह आपको बॉलिंग कर रहा है। आप उस पर शॉट खेलते हैं। कमेंटेटर नाम लेता है। ये सब कोहली मन में दोहराते हैं और करन पहला अक्षर बताते हैं। यही नहीं, वह मोबाइल में लिखकर लोगों को दिखाते भी हैं लेकिन कोहली को नहीं बताते। इसके बाद वह कोहली से पूछते हैं तो उन्होंने भी वही नाम लिया जो करन ने पहले ही लिख रखा था- पीयूष नागपाल। आसपास के लोग चिल्ला पड़ते हैं।
बाबा बागेश्वर की चर्चा होने लगी तो करन ने टीवी डिबेट में उन्हें चुनौती दे डाली। कुछ लोग उन्हें गालियां भी देने लगे। लेकिन इस पर बात तो होनी चाहिए कि क्या यह जादू है या कोई स्किल? करन कहते हैं कि मैं किसी के भरोसे को तोड़ नहीं रहा और न ही सवाल कर रहा हूं। वह बस इतना कहना चाहते हैं कि आपको सवाल पूछना चाहिए। अंधभक्त नहीं बनना चाहिए। उनका साफ तौर पर कहना है कि इसमें महामानव जैसी कोई बात नहीं है। सब ट्रिक्स, मनोस्थिति, मन के विश्लेषण की बात है। ज्यादातर एक्सपर्ट भी कहते हैं कि लोगों के बॉडी मूवमेंट, अपीयरेंस, बोलने पर जवाब देने की स्टाइल से बहुत कुछ नोटिस हो जाता है। इसे वे न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (NLP) कहते हैं। इसमें विजुअल क्लू की मदद से ब्रेन को पढ़ा जाता है।
सुहानी शाह बेधड़क बोलीं, सब ट्रिक्स है
जब बागेश्वर बाबा पर सवाल उठने लगे तो उन्होंने कहा कि कांच और मणि देखने में एक जैसे हो सकते हैं पर दोनों में जमीन और आसमान का अंतर होता है। सुहानी शाह भी टीवी चैनलों पर आईं और उन्होंने कुछ ऐसे जवाब दिए कि सुनने वाले दंग रह गए। जो लोग पास बैठे थे उनकी समस्याएं गिना दीं। लेकिन वह बार-बार कहती हैं कि इसमें कोई महामानव जैसी बात नहीं है। सब ट्रिक्स है। यह एक तरह का आर्ट यानी कला है। सुहानी ने ट्विटर प्रोफाइल में खुद को मेंटलिस्ट लिखा है।
लाइव चैनल में सामने एक लड़की बैठी थी, सुहानी ने रैंडम सिलेक्ट किया और बोलीं कि आपकी दादी बीमार हैं, वह ठीक हो जाएंगी। हर कोई हैरान रह गया। इसके बाद बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सुहानी शाह ने अपनी कला से लोगों को मैसेज दिया है कि लोगों के मन की बात बता देना सिर्फ कला है, कोई चमत्कार नहीं है। यह लॉजिक है।
अक्षय कुमार: दिमाग में तस्वीर बनती है
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में सीनियर रिसर्च फेलो अक्षय कुमार एक प्रशिक्षित साइकोलॉजिस्ट हैं। वह कहते हैं कि अगर आपसे बंदूक के बारे में सोचने के लिए कहा जाता है तो आप शब्द के बारे में नहीं सोचते बल्कि उसका दृश्य रूप सोचेंगे। भाषा आपकी कोई भी हो, सोचेंगे तो तस्वीरों में सोचेंगे। दिमाग की भाषा पढ़ने की कला ही NLP (Neuro-linguistic Programming) है। इसमें ट्रेनिंग ऐसे दी जाती है कि आप विजुअल क्लू से चीजों को पकड़ सकें। जब आपसे कोई सवाल पूछा जाता है या कुछ करने को कहा जाता है तो आपके दिमाग में जवाब स्वरूप में एक तस्वीर बनती है। इस दौरान आपके शरीर और चेहरे पर आए बदलाव को भांपकर दिमाग पढ़ा जा सकता है।
मेंटलिस्ट यानी माइंड रीडर छोटे से छोटा रीएक्शन भी पकड़ लेते हैं। उन्हें प्रशिक्षण ही ऐसा मिलता है। जैसे आपका दिमाग सोच रहा है तो आंखें भी अलग-अलग दिशा में घूमती हैं। पिछला कुछ याद कर रहे हैं तो आंखें ऊपर की तरफ कोने में चली जाती हैं। इसी तरह से आंखों के बाएं, दाएं, ऊपर, नीचे मूवमेंट के मायने होते हैं और दिमाग पढ़ने वालों के लिए इतना काफी होता है।
नरपत रमन बोले, कुछ-कुछ फिल्म जैसा है
बेंगलुरु के रहने वाले नरपत रमन (Narpath Raman) भी मेंटलिस्ट हैं। उन्हें इस कला को सीखे हुए 11 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। वह मानते हैं कि उन्हें देखने वाले कई बार उन पर काला जादू का आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में वह अब कोई शो करते हैं तो डिस्क्लेमर रखते हैं। वह लिखते हैं, ‘जो आप देखने वाले हैं वह रियल नहीं है।’ रमन कहते हैं कि इसके बाद वह जो कुछ करते हैं लोगों को माइंड रीडिंग लगता है। यह कुछ-कुछ फिल्म देखने जैसा लगता है। जब तक फिल्म चलती है लोगों को लगता है कि ऐक्टर ही वह कैरेक्टर है जो वह देख रहे हैं।
नकुल शिनॉय: आप लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते
माइंड रीडर नकुल शिनॉय भी बेंगलुरु में रहते हैं। उनके मैजिक को लाखों लोग अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर देख चुके हैं। उन्होंने दुनिया के कई शहरों में माइंड रीडिंग का परफॉर्मेंस दिया है। वह खुद को यूजर रिसर्चर और क्रिटिकल थिंकर बताते हैं। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर कई बड़ी कंपनियों में परफॉर्मेंस कनेक्शन बताया है। उन्होंने मैजिक पर किताब भी लिखी है। वह कहते हैं कि आप अपनी ऑडियंस को मूर्ख नहीं बना सकते हैं।
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