क्या अंतरिक्ष पर कब्जा कर लेगा चीन ? : पहली बार शी जिनपिंग सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम, पूरी दुनिया की नजर टिकी
नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों से चीन ने अंतरिक्ष पर हलचल तेज कर दी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या चीन अब अंतरिक्ष पर कब्जा करने की तैयारी में है? ये पहली बार नहीं है, जब इस तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसके पहले भी नासा की एक खुफिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हो चुका है। आइए समझते हैं…
पहले जानिए चीन के नए मिशन के बारे में
चीन की स्पेस एजेंसी ने मंगलवार को जिउगुआन सैटेलाइट सेंटर से एक स्पेस प्रोग्राम लॉन्च किया। पहली बार इसके जरिए चीन ने आम एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष पर भेजा। इस मिशन पर बीजिंग की यूनिवर्सिटी ऑफ एयरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स के प्रोफेसर गुई को भेजा गया है। मिशन के कमांडर जिंग हाइपेंग को बनाया गया है, जो पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से हैं।
इस मिशन में इन दोनों के अलावा एक इंजीनियर झू यांगझू भी हैं। चाइना डेली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पांच महीने के इस मिशन पर तीनों एस्ट्रोनॉस रवाना हो चुके हैं। सुबह सफलतापूर्वक ये प्रोग्राम लॉन्च हो गया। इस मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को शेनझोउ XVI नाम दिया गया है।
क्या है चीन की योजना?
2030 तक चीन चांद पर पहुंचने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए चीन की मिलिट्री के स्पेस प्रोग्राम पर कई बिलियन खर्च किए जा चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन स्पेस रेस में अमेरिका और रूस की बराबरी करना चाहता है।
चीन ने पिछले साल अपना तीसरा परमानेंट स्पेस स्टेशन बनाने का काम पूरा कर लिया था। जिसे तियानगोंग नाम दिया गया है। इसे लॉन्च करने के बाद 10 साल तक धरती के ऑर्बिट में रखा जाएगा। इससे सबसे लंबे वक्त तक इंसान के स्पेस में रहने का रिकॉर्ड बनेगा। 2011 में अमेरिका ने अपनी स्पेस एजेंसी नासा को चीन की स्पेस एजेंसी के साथ काम करने से इनकार कर दिया था। तब से चीन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से बाहर है।
तो क्या अंतरिक्षक पर कब्जा करना चाहता है चीन?
इसकी आशंका कई बड़े वैज्ञानिक जता चुके हैं। पिछले दिनों नासा के अधिकारी बिल नेल्सन ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि चीन चांद के एक हिस्से पर साइंटिफिक रिसर्च फैसिलिटी बना रहा है। आशंका इस बात की है कि चीन बाद में इस इलाके पर कब्जा कर सकता है। ऐसी आशंका इसलिए भी है, क्योंकि अंतरिक्ष के नियम पहले आओ, पहले पाओ की तरह काम करते हैं।
इंडो-पैसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन (आइपीसीएससी) की रिपोर्ट के अनुसार चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के जरिए खुद को सैन्य, आर्थिक और तकनीकी शक्ति में बदलने का प्रयास कर रहा है। वहीं, यूएस स्पेस फोर्स की चीफ ऑफ स्टाफ निना आर्मागनो ने 2022 के नवंबर में दावा किया था कि चीन आर्थिक फायदे और स्ट्रैटेजिक वजहों से स्पेस रेस को जीतने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका को डर है कि अगर चीन अपने सभी मिशन में कामयाब होता है तो वो स्पेस रेस में उनको पीछे छोड़ देगा। इसके अलावा अमेरिका को ये भी डर है कि कहीं चीन अंतरिक्ष में अपने सैन्य ठिकाने बनाना शुरू न कर दे।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चीन स्वायत्त चंद्र अनुसंधान स्टेशन बनाने की भी योजना बना रहा है, जिसके 2025 में शुरू होने की उम्मीद है। चीन आर्थिक लाभ और रणनीतिक कारणों से अंतरिक्ष युद्ध जीतने की कोशिश में है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी कॉरपोरेशन (सीएएससी) के अध्यक्ष वू यानशेंग ने 20 दिसंबर को चीन के अंतरिक्ष विकास लक्ष्यों को रेखांकित किया था। चीन 2023 में 60 से अधिक अंतरिक्ष मिशनों के साथ 200 से अधिक अंतरिक्ष यान लांच करने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और रूस के पास पहले से ही ”खतरनाक उपग्रह” हैं जो अमेरिकी उपग्रहों को नष्ट कर सकते हैं और कहर बरपा सकते हैं।
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