क्या जाएगी परेश अधिकारी की कुर्सी ! मंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में पीआईएल दायर
कोलकाता। शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई तृणमूल सरकार की ओर से नहीं की गयी है और ना ही उन्हें मंत्री पद से हटाया गया है। इसे लेकर भाजपा की ओर से हाई कोर्ट में एक पीआईएल दर्ज करायी गयी है। मालूम हो कि शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद अब ममता बनर्जी के दूसरे मंत्री परेश चंद्र अधिकारी पर तलवार लटकी है। इस मामले में परेश चंद्र अधिकारी भी आरोपी हैं। उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है।
राज्य के भाजपा नेता प्रदीप्त अर्जुन द्वारा मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी। अपनी याचिका में, भाजपा ने तर्क दिया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के पहले के आदेश के बाद, यह संदेह से परे साबित हुआ है कि अधिकारी ने अपनी बेटी अंकिता अधिकारी को अवैध रूप से उच्च माध्यमिक राजनीति विज्ञान शिक्षक के रूप में नियुक्त करने के लिए अनैतिक रूप से अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अदालत के आदेश के बाद, अंकिता अधिकारी को उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया और कूचबिहार जिले के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा लिया गया वेतन भी वापस करना पड़ा, जहां परेश चंद्र अधिकारी विधायक हैं। खंडपीठ ने जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है और यह मामला 5 अगस्त को सुनवाई के लिए आ सकता है।
इस बीच, राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से उनके सभी मंत्री पद छीन लिए गए हैं, क्योंकि उन्हें 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती अनियमितताओं में उनकी कथित संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया था। तृणमूल कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी के अलग-अलग पदों से मुक्त कर दिया है। चटर्जी पहले ही दावा कर चुके हैं कि वह साजिशों का शिकार हुए हैं।
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