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क्या भारत-पाकिस्तान युद्ध में सऊदी अरब कूदेगा? शहबाज और सलमान की डिफेंस डील का क्या मतलब है?

पाकिस्तान, जो हाल ही में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कारण दबाव में है, अब सऊदी अरब की शरण में गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 17 अक्टूबर को एक बड़ी. . .

पाकिस्तान, जो हाल ही में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के कारण दबाव में है, अब सऊदी अरब की शरण में गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 17 अक्टूबर को एक बड़ी डिफेंस डील (रक्षा समझौते) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का सीधा मतलब है – अगर इन दोनों में से किसी एक देश पर हमला होता है, तो दूसरा देश उसकी रक्षा के लिए साथ देगा।

🔴 क्या है यह डिफेंस डील?

यह डील कुछ-कुछ नाटो (NATO) की तरह है, जहां एक देश पर हमला पूरे संगठन पर हमला माना जाता है। उसी तर्ज पर, अगर पाकिस्तान या सऊदी अरब पर कोई देश हमला करता है, तो दोनों मिलकर जवाब देंगे। यानी यह सिर्फ एक कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि सैन्य सहयोग का वादा है।

पाकिस्तान सरकार के अनुसार, यह डील न सिर्फ सुरक्षा सहयोग बढ़ाएगी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और शांति को लेकर दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता भी दर्शाती है। खास बात यह है कि डील में ‘किसी भी आक्रामकता’ के खिलाफ ‘संयुक्त प्रतिरोध’ की बात की गई है।

🇮🇳 भारत-पाक युद्ध हुआ तो सऊदी क्या करेगा?

सवाल ये है कि अगर भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ती है, तो क्या सऊदी अरब पाकिस्तान का साथ देगा?

तकनीकी रूप से जवाब “हां” है, लेकिन व्यवहारिक रूप से मामला इतना सीधा नहीं।

  • डिफेंस डील में साफ तौर पर लिखा है कि “एक देश पर हमला, दोनों पर हमला माना जाएगा।”
  • यानी अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है (जैसे कि आतंकी हमले के जवाब में स्ट्राइक), तो सऊदी को यह समझौता एक्टिवेट करना होगा।

लेकिन क्या सऊदी अरब वाकई भारत के खिलाफ जाएगा? यह अभी साफ नहीं।

🛢️ भारत-सऊदी रिश्तों का क्या होगा?

भारत और सऊदी अरब के बीच वर्षों से अच्छे संबंध हैं – व्यापार, तेल, और प्रवासी भारतीयों के कारण। ऐसे में सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर जाना मुश्किल होगा। यही वजह है कि भारत की ओर से इस डील पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन सतर्कता जरूर दिखाई गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार इस डील के प्रभावों का अध्ययन कर रही है और भारत की सुरक्षा सर्वोपरि है।

🤝 सऊदी-पाक डील की मजबूरी क्या है?

  1. सऊदी की मजबूरी:
    • अमेरिका की सुरक्षा छतरी अब कमजोर पड़ रही है।
    • इजरायल-हमास संघर्ष के बाद सऊदी को लग रहा है कि उसे अपने क्षेत्रीय सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत करना होगा।
    • उसके पास न्यूक्लियर हथियार नहीं हैं, जबकि पाकिस्तान एक परमाणु ताकत है।
  2. पाकिस्तान की मजबूरी:
    • भारत की सैन्य कार्रवाइयों से डरा हुआ है।
    • उसे सऊदी अरब जैसे तेल-धनी देश की आर्थिक मदद चाहिए।
    • भारत-सऊदी के बढ़ते रिश्तों से घबराहट है।

🧭 निष्कर्ष:

  • क्या सऊदी भारत के खिलाफ युद्ध में कूदेगा?
    डील के अनुसार हां, लेकिन व्यवहार में शायद नहीं।
  • क्या यह भारत के लिए चिंता की बात है?
    हां, लेकिन भारत पूरी तरह से सतर्क है और अपनी रणनीति तैयार रखे हुए है।
  • क्या पाकिस्तान भारत से डर गया है?
    बिलकुल, और यही डर उसे सऊदी अरब की गोद में ले गया है।