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गणेश चतुर्थी से नए संसद भवन में बैठेंगे सांसद : 18 सितंबर को विशेष सत्र के पहले दिन का कामकाज पुरानी बिल्डिंग में होगा; 19 को शिफ्टिंग

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को संसद का विशेष सत्र बुलाया है। पहला दिन यानी 18 सितंबर पुराने संसद भवन में कामकाज का आखिरी दिन होगा। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के दिन संसद को नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाएगा। PM मोदी ने 28 मई को नए संसद भवन का इनॉगरेशन किया था। नए संसद भवन में कामकाज शुरू होने के बाद पुरानी इमारत को ‘म्यूजियम ऑफ डेमोक्रेसी’ में बदल दिया जाएगा।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बना नया संसद भवन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। 973 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस बिल्डिंग को 29 महीने में तैयार किया गया है।
क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग
मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।
4 मंजिला बिल्डिंग, भूकंप का असर नहीं
64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और VIPs के लिए अलग एंट्री है। नया भवन पुराने भवन से 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है।
नए संसद भवन पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसकी डिजाइन HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।
पिछले साल राजपथ को मिला था कर्तव्य पथ नाम
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबे सड़क का रिडेवलपमेंट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 सितंबर को इसका उद्घाटन किया था। उन्होंने उसी दिन इसका नाम राजपथ से बदलकर कर्तव्य पथ करने का ऐलान किया था।
संविधान हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी
नई बिल्डिंग की सबसे बड़ी विशेषता संविधान हॉल है। कहा जा रहा है कि इस हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी। इसके अलावा महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, देश के प्रधानमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई हैं।
दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट और पुरी में जगन्नाथ मंदिर की मास्टर प्लानिंग- भारत के कल्चरल और अरबन लैंडस्केप के ये सभी सिंबल्स भले ही देश के अलग-अलग कोनों में स्थित हैं, लेकिन इनके मास्टर आर्किटेक्ट एक ही हैं- बिमल पटेल।


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