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चाय बागानों की जमीन को फ्रीहोल्ड भूमी में बदलने के खिलाफ श्रमिक परिवारों ने छेड़ा आन्दोलन, पश्चिम बंगाल भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन की मांग की

सिलीगुड़ी। चाय बागान की जमीन कॉरपोरेट्स को सौंपी जा रही है। 12 लाख आदिवासियों और अन्य श्रमिक परिवारों को अपनी जमीन खोने का डर सताने लगा है। राज्य सरकार द्वारा बनाए गए भूमि हड़पने के कानून के खिलाफ चाय बागान. . .

सिलीगुड़ी। चाय बागान की जमीन कॉरपोरेट्स को सौंपी जा रही है। 12 लाख आदिवासियों और अन्य श्रमिक परिवारों को अपनी जमीन खोने का डर सताने लगा है। राज्य सरकार द्वारा बनाए गए भूमि हड़पने के कानून के खिलाफ चाय बागान बहुल इलाकों में आंदोलन शुरू हो गया है।
चाय बागानों सहित अन्य क्षेत्रों में फ्रीहोल्ड भूमि को परिसीमित करने और उन्हें अन्य व्यवसायों और उपयोगों में परिवर्तित करने के लिए पश्चिम बंगाल भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन के परिणामस्वरूप सैकड़ों वर्षों से चाय बागानों में रहने वाले आदिवासी मजदूरों को भूमि का वास्तविक नुकसान होगा।
गुरुवार को आंदोलनकारी संयुक्त मंच की ओर से माटीगाड़ा ब्लॉक के भूमि एवं भू-राजस्व कार्यालय पर एकत्र हुए और चाय बागानवासियों को भूमि अधिकार शीघ्र वापस दिलाने तथा राज्य सरकार के भूमि हड़पने वाले कानून को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में भड़क उठे।
CPIM दार्जिलिंग के जिला सचिव समन पाठक ने कहा, लंबे समय तक इन चाय बागान श्रमिकों ने अपने श्रम से एक उद्योग को जीवित रखा, आज राज्य सरकार ने उन्हें चाय बागान की जमीन से वंचित करने और कॉरपोरेट जगत को जमीन लूटने का लाइसेंस देने के लिए एक अनुकूल कानून पारित किया है। इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जायेगा।

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