कोलकाता: जादवपुर विश्वविद्यालय में एक छात्रा की रहस्यमयी मौत से सनसनी फैल गई है। जानकारी के अनुसार, गुरुवार रात दस बजे के बाद विश्वविद्यालय के चार नंबर गेट के सामने झील से छात्रा को बेहोशी की हालत में निकाला गया। तत्काल अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतका की पहचान अनामिका मंडल के रूप में हुई है, जो जादवपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग की तृतीय वर्ष की छात्रा थीं और निमता की रहने वाली थीं। घटना के समय विश्वविद्यालय परिसर में एसएफआई द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहा था।
विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक, शाम को छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। अनामिका भी वहां मौजूद थीं। बताया गया है कि वह यूनियन रूम के पास स्थित शौचालय गई थीं और लौटते समय झील में गिर पड़ीं। कुछ देर बाद उन्हें पानी से बाहर निकालकर केपीसी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
सियासी आरोप-प्रत्यारोप शुरू
इस घटना के बाद से ही राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। तृणमूल छात्र परिषद (TMCP) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर विश्वविद्यालय परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने और स्थायी पुलिस आउटपोस्ट की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। संगठन ने सवाल उठाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने रात तक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति क्यों दी, जबकि परिसर में स्थायी कुलपति तक नहीं है।
टीएमसीपी का आरोप है कि प्रशासन की निगरानी के अभाव में जादवपुर विश्वविद्यालय में देर रात तक असामाजिक गतिविधियाँ चलती रहती हैं। संगठन के राज्य अध्यक्ष तृणांकुर भट्टाचार्य ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। दो साल पहले भी एक मौत हुई थी, और आज फिर एक छात्रा की मौत हुई। सीसीटीवी कैमरा और स्थायी पुलिस पोस्टिंग हमारी पुरानी मांग रही है। ये सामान्य मौतें नहीं हैं। जो लोग इनकी स्थापना के विरोध में हैं, वे जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।”
उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति के न होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है, और उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत कुलपति की तत्काल नियुक्ति की मांग की।
सीसीटीवी को लेकर पुराना विवाद
गौरतलब है कि जादवपुर विश्वविद्यालय में सीसीटीवी कैमरा लगाने को लेकर विवाद नया नहीं है। करीब एक दशक पहले हुए ‘होक कलরब’ आंदोलन के समय से ही इस विषय पर बहस होती रही है। बाद में विश्वविद्यालय के हॉस्टल और गेटों पर कैमरे लगाए गए। इसी साल मार्च महीने में पूरे परिसर में कैमरे लगाने की योजना बनी, जिसके लिए एक विशेष कमिटी गठित करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी। यह तय किया गया था कि कैमरे कहाँ-कहाँ लगेंगे, यह कमिटी चर्चा के माध्यम से तय करेगी।