आगरा। सुप्रीम कोर्ट ने आगरा विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह की व्यवसायिक गतिविधि को तत्काल प्रभाव से रोक दे। जस्टिस संजय किशन कौल और एएस ओका ने आगरा विकास प्राधिकरण से कहा कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि 17वीं शताब्दी में बने सफेर संगमर्मर की इस इमारत को लेकर कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसका पालन हो। कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में व्यवसायिक गतिविधि को रोका जाए, इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर प्रार्थना की इजाजत दे रहे हैं, आगरा विकास प्राधिकरण को निर्देश दे रहे हैं कि वह ताजमहल की दीवार के 500 मीटर के दायरे में सभी बिजनेस गतिविधियों को हटवाएं, देश के संविधान के आर्टिकल 14 का पालन किया जाए। ताजमहल के 500 मीटर के दायरे को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया गया है, यहां गाड़ियों के आवागमन पर सख्त पाबंदी होगी। इसके अलावा ताजमहल के पास किसी भी तरह की लकड़ी जलाने, निकाय द्वारा यहां पर किसी भी तरह का कोई कूड़ा डालने पर भी पाबंदी लगाई गई है।
वरिष्ठ वकील एडीएन राव ने कोर्ट में एमिकस क्यूरी के तौर पर कहा कि यह फैसला ताजमहल के हित में होगा। गौर करने वाली बात है कि कोर्ट में यह याचिका कुछ दुकानदारों ने दायर की थी, जिन्हें ताजमहल के 500 मीटर दायरे के बाहर दुकानें आवंटित की गई थीं। उन्होंने कोर्ट को बताया गैरकानूनी गतिविधियां कोर्ट के 500 मीटर के दायरे के भीतर हो रही हैं, जोकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हैं। पर्यावरणविद एमसी मेहता ने भी ताजमहल के संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
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