Headlines

सुवेंदु अधिकारी के काफिले पर हमला, वाहन क्षतिग्रस्तHrithik Roshan : ऋतिक रोशन ने इसके लिए दोबारा इंस्टॉल किया इंस्टाग्राम, बताया ‘अब तक का सबसे बेहतरीन शो’Bihar Traffic Rules : बिहार में ट्रैफिक रूल्स पर सख्ती: ये डॉक्यूमेंट साथ न हों तो फंस सकते हैं भारी जुर्माने मेंसुवेंदु अधिकारी के काफिले पर हमला, वाहन क्षतिग्रस्तHrithik Roshan : ऋतिक रोशन ने इसके लिए दोबारा इंस्टॉल किया इंस्टाग्राम, बताया ‘अब तक का सबसे बेहतरीन शो’Bihar Traffic Rules : बिहार में ट्रैफिक रूल्स पर सख्ती: ये डॉक्यूमेंट साथ न हों तो फंस सकते हैं भारी जुर्माने में
Home » दुनिया » तालिबान ने खोला टॉर्चर का नया चैप्टर : तलाकशुदा महिलाओं को पूर्व पति के साथ रहने का फरमान, तलाक रद्द

तालिबान ने खोला टॉर्चर का नया चैप्टर : तलाकशुदा महिलाओं को पूर्व पति के साथ रहने का फरमान, तलाक रद्द

काबुल। महिलाओं के लिए जहन्नुम बन चुके अफगानिस्तान के तालिबान शासक हर रोज नये नये फरमानों के चाबुक से महिलाओं को टॉर्चर कर रहे हैं। देश में महिलाओं के तमाम अधिकार पहले ही छीने जा चुके हैं और उन्हें मर्दों. . .

काबुल। महिलाओं के लिए जहन्नुम बन चुके अफगानिस्तान के तालिबान शासक हर रोज नये नये फरमानों के चाबुक से महिलाओं को टॉर्चर कर रहे हैं। देश में महिलाओं के तमाम अधिकार पहले ही छीने जा चुके हैं और उन्हें मर्दों के पैरों की जूती बना दिया गया है। वहीं, तालिबान शासकों ने महिलाओं के तलाक को रद्द कर उन्हें फिर से उनके पूर्व-पतियों के पास भेजना शुरू कर दिया है, जो उन्हें टॉर्चर करते थे। अफगानिस्तान की स्थिति ये हो गई है, कि मर्द अब महिलाओं के साथ आसानी से दुर्वव्यहार करते हैं, उन्हें प्रताड़ित करते हैं, मारपीट करते हैं, दांत तोड़ देते हैं, फिर भी महिलाओं की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है।
तलाक को रद्द कर रहा तालिबान
अफगानिस्तान की रहने वाली महिला मारवा बताती है, कि उसका पूर्व पति उसे सालों से प्रताड़ित करता था, पूर्व पति ने उसके दांत तोड़ दिए थे और उसने किसी तरह से अपने पूर्व पति से छुटकारा पाया था, लेकिन तालिबान कमांडरों ने उसे फिर से उसके पूर्व पति के साथ रहने के लिए मजबूर कर दिया है। मारवा के आठ बच्चे हैं और तालिबान ने उसके तलाक को रद्द करते हुए, तलाक के कागजात को फाड़ दिया है, लिहाजा अब मारवा खौफ में आकर अपने बच्चों के साथ किसी जगह पर छिप गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारवा उन महिलाओं में से एक है, जिसने तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने से पहले अफगानिस्तान के कानूनों के तहत अपने पति से तलाक लिया था। किसी अन्य देश की ही तरह अफगानिस्तान में भी तलाक के लिए कानून था और उनके अपने अधिकार थे, लेकिन तालिबान ने सारे अधिकार खत्म कर दिए, लिहाजा अब महिलाएं पैरों की जूती बनने पर मजबूर हो चुकी हैं।
मर्दों के साथ तालिबान के सारे कानून
तालिबान ने जब अगस्त 2021 में सत्ता पर कब्जा किया, तो मारवा के पूर्व पति ने तालिबान के सामने दावा किया, कि उसे पूर्व शासनकाल में तलाक के लिए मजबूर किया गया, जिसके बाद तालिबान ने मारवा के पति की बात मानते हुए तलाक के कागजात फाड़ दिए और तलाक को रद्द कर दिया। मारवा को आदेश दिया गया, कि वो अपने पूर्व पति के साथ ही रहे, जो उसके साथ मारपीट करता था, टॉर्चर करता था। मारवा की उम्र 40 साल है और उसने अपनी सुरक्षा के लिए अपना नाम बदल लिया है, ताकि उसकी पहचान ना हो सके। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, मारवा ने बताया, कि “उस दिन मैं और मेरी बेटियां बहुत रोईं थीं।” उसने कहा, कि “मैंने खुद से कहा, हे भगवान, शैतान वापस आ गया है’।”
महिलाओं की जिंदगी बनी नर्क
तालिबान शासकों ने महिलाओं के लिए सख्त शरिया कानून लागू किय है और महिलाओं के लिए इस्लाम के कठोर कानून को मानना अनिवार्य है। महिलाओं के जीवन पर गंभीर प्रतिबंध लगाए गये हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने “लिंग आधारित रंगभेद” कहा है। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान कमांडर एक के बाद एक कई महिलाओं के तलाक को रद्द कर रहा है और उन्हें फिर से उनके पूर्व पति के पास वापस भेज रहा है। यानि, अफगानिस्तान में महिलाओं को प्रताड़ित करने का नया दौर शुरू हो गया है। मारवा और मारवा जैसी महिलाओं को यातना के नये दौर से गुजरना पड़ रहा है। उन्हें घर में बंद रखा जाता है, पीटते-पीटते उनके हाथ तोड़ दिए गये हैं, उनकी उंगलियां टूट गई हैं, लेकिन उनका इलाज नहीं किया गया। एएफपी से बात करते हुए मारवा की मां ने कहा, कि “मारपीट से मैं बेहोश हो जाती थी और बाद में मेरी बेटियां किसी तरह मुझे संभालती थीं, मुझे खाना खिलाती थीं।”
‘बुरी तरह से टॉर्चर करता था पति’
मारवा ने बताया, कि “वह (पूर्व पति) मेरे बालों को इतनी जोर से खींचता था, कि मेरे बाल उखड़ जाते थे, उसने मुझे इतना पीटा कि मेरे सारे दांत टूट गए।” मारवा ने अपने दर्द को याद करते हुए बताया, कि एक दिन वो अपनी 6 बेटियों और दो बेटियों को लेकर सैकड़ों मील दूर अपने एक रिश्तेदार के घर भाग गई और सभी लोगों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने नाम बदल लिए। मारवा ने बताया, कि “मेरे बच्चे कहते हैं, कि नई जिंदगी ही ठीक है, हम भूखे हैं, लेकिन कम से कम मारपीट से तो छुटकारा मिल गया है।” मारवा कहती है, कि घर से भागने के बाद वो जहां आई है, वहां उसे कोई नहीं जानता है, उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए कोई पड़ोसी नहीं बनाए हैं, क्योंकि उसे डर था, कि कहीं उसका पूर्व पति उसे खोज ना ले।
10 में से 9 महिलाएं हैं प्रताड़ित
संयुक्त राष्ट्र मिशन की रिपोर्ट में कहा गया है, कि अफगानिस्तान में 10 में से 9 महिलाएं अपने साथी से शारीरिक, यौन या मनोवैज्ञानिक हिंसा का शिकार होती हैं, यानि स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, कि 90 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी से हिंसा का शिकार होती हैं। वहीं, किसी महिला के लिए तलाक लेना अफगान समाज में और भी ज्यादा खौफनाक माना जाता है, जिसे समाज में घृणा के तौर पर देखा जाता है, लिहाजा हिंसा सहते हुए महिलाएं अपने पतियों के साथ रहने पर मजबूर रहती हैं। अफगान समाज और अफगान संस्कृति उन महिलाओं को कभी माफ नहीं करता है, जो अपने पति से अलग हो चुकी होती हैं, लिहाजा ऐसी महिलाओं के लिए समाज भी सहारा नहीं बनता है। जब अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार थी, तो कई अफगान शहरों में तलाक के दर में इजाफा हुआ और महिलाओं ने हिम्मत जुटाकर टॉर्चर करने वाले पतियों को छोड़ना शुरू किया। महिलाओं को पढ़ाई मिलना शुरू हुआ, रोजगार के मौके बढ़े, लिहाजा वो स्वाबलंबी बनी और मर्दों पर उनकी निर्भरता कम होनी शुरू हो गई, लेकिन अगस्त 2021 के बाद हालात फिर से बदल गये।
अब तलाक लेने पर लगा प्रतिबंध!
अमेरिका समर्थित सरकार के दौरान महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ने वाली नजीफा नाम की वकील बताती हैं, कि उन्होंने करीब 100 महिलाओं को उनके टॉर्चर करने वाले पतियों से तलाक दिलवाया, लेकिन अब उन्हें तालिबान शासित अफगानिस्तान में काम करने की इजाजत नहीं है। जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ी, महिलाओं ने महसूस किया कि दुर्व्यवहार करने वाले पतियों से अलग होना संभव है। नजीफा ने भी अपनी पहचान छिपाते हुए कहा, कि “जब एक पति और पत्नी के रिश्ते में कोई सामंजस्य नहीं बचा है, तो इस्लाम भी तलाक की अनुमति देता है।” लेकिन, अब हालात बदल गये हैं। नजीफा ने कहा, कि पहले के शासनकाल के दौरान महिलाओं के मामलों की सुनवाई के लिए पारिवारिक अदालतों का गठन किया गया था, स्पेशल वकील बनाए गये थे लेकिन तालिबान शासन के दौरान ऐसे अदालतों को बंद कर दिया गया है। तालिबान के अधिकारियों ने अपनी नई न्याय प्रणाली को स्थापित किया है, जिसमें महिलाओं के खिलाफ मुकदमे चलते हैं। नाजिफा ने एएफपी को बताया, कि उसके पांच पूर्व क्लाइंट ने मारवा जैसी स्थिति में होने की सूचना दी है।
तालिबान शासन में तलाक की नई प्रक्रिया
तालबान शासन में तलाक के लिए नये कानून बनाए गये हैं। महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक और वकील, जिन्होंने अपना पहचान जाहिर नहीं किया, उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, कि उन्होंने हाल ही में अदालत के अंदर एक महिला को अपने तलाक के रद्द होने के फैसले के खिलाफ खड़ा देखा। उन्होंने कहा, कि तालिबान सरकार के तहत तलाक तब सीमित है। अब तलाक उन्हीं हालातों में मिल सकता है, जब पति देश से भाग चुका हो, ड्रग एडिक्ट हो। वकील ने कहा, कि “घरेलू हिंसा के मामलों में या जब एक पति तलाक के लिए सहमत नहीं होता है, तो अदालत उन्हें तलाक की इजाजत नहीं देता है।” अफगानिस्तान में महिलाओं को आश्रय देने वाले तमाम नेटवर्क, जो पहले काम कर रही थीं, उन्हें तालिबान ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। तालिबा ने अफगानिस्तान में महिला मामलों के मंत्रालय और मानवाधिकार आयोग को खत्म कर दिया है।
सना की दर्दनाक कहानी
सना जब 15 साल की थीं, तो उनकी शादी उनसे 10 साल बडे़ उनके कजन से शादी करवा दी गई। सना ने कहा, कि “अगर हमारा बच्चा रोता था, या खाना अच्छा नहीं होता था, तो वह मुझे पीटता था।” एएफपी को अपनी दर्दनाक कहानी बताने वाली सना फिलहाल एक सीक्रेट घर में रहती है, जहां वो चूल्हे पर चाय बनाते हुए अपने पति के क्रूर व्यवहार को याद करती है। सना कहती है, कि औरतों को अपनी बात रखने का हक नहीं है। उसकी बात कोई नहीं सकता। सना बताती है, कि अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती शासनकाल के दौरान अदालत से उसने मानवाधिकार संगठनों की मदद से तलाक ले लिया था, लेकिन तालिबान कमांडरों ने तलाक को रद्द कर दिया, जिसके बाद उसे अपने पूर्व पति के पास लौटना पड़ा। सना बताती है, कि अपनी चार बेटियों की कस्टडी खोने के डर से वो अपने पूर्व पति के पास लौट आई, जिसने अब दूसरी महिला से शादी कर लिया है। इस बीच उसे खबर महिला, कि उसकी छोटी छोटी बेटियों की शादी तालिबान के सदस्यों से तय कर दी गई है, जिसने उसे दहला कर रख दिया। सना ने बताया, कि उसकी बेटियों ने उसे कहा, कि “मां हम आत्महत्या कर लेंगे।” लिहाजा, सना ने कुछ पैसे इकट्ठा किए और अपने बच्चों के साथ भागने में कामयाब रही। उसे एक रिश्तेदार के घर में आसरा मिला। उसे एक कमरा दिया गया, जिसमें केवल गैस चूल्हा और सोने के लिए कुछ कुशन थे।
तालिबान के अधिकारियों ने क्या कहा?
वहीं, एएफपी ने जब तालिबान के उच्च अधिकारियों के सामने ऐसे मामलों को उठाया, तो उन्होंने कहा कि वो ऐसे मामलों को देखेंगें, जहां तलाकशुदा महिलाओं को उनके पूर्व पतियों के पास लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। तालिबान सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता इनायतुल्ला ने कहा, कि “अगर हमें ऐसी शिकायतें मिलती हैं, तो हम शरिया के अनुसार उनकी जांच करेंगे।” यह पूछे जाने पर, कि क्या तालिबान शासन पिछली सरकार के तहत दिए गए तलाक को स्वीकार करेगा, तो उन्होंने कहा, कि “यह एक महत्वपूर्ण और जटिल मुद्दा है।” उन्होंने कहा, कि “दार अल-इफ्ता इसे देख रहा है। जब यह एक समान निर्णय पर पहुंचेगा, तब हम देखेंगे।” आपको बता दें, कि दार अल-इफ्ता अदालती कामकाज को देखने वाली संस्था है, दो शरीयत पर फैसले जारी करती है। लेकिन, इन सबके बीच मारवा और सना जैसी महिलाओं की जिंदगी जहन्नुम बन चुकी है, जो आर्थिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर टूट चुकी हैं। उन्हें अपना भविष्य अंधाकरमय दिखता है। मारवा बताती है, कि उसकी बेटियां कहती हैं, कि ‘पति शब्द से उन्हें नफरत हो गया है।’

Trending Now

तालिबान ने खोला टॉर्चर का नया चैप्टर : तलाकशुदा महिलाओं को पूर्व पति के साथ रहने का फरमान, तलाक रद्द में पॉपुलर

पॉपुलर न्यूज़

एक्सक्लूसिव न्यूज़