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दिलीप घोष के बिगड़े बोल, ‘बाघिन’ से कर डाली ममता बनर्जी की तुलना, कहा-बाघिन क्या महिला होती है?

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कोलकाता। उत्तर प्रदेश में गुरुवार को सातवें और आखिरी चरण के मतदान के लिए भी प्रचार अभियान में सीएम ममता बनर्जी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रिंग रोड किनारे ऐढ़े में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की संयुक्त रैली होगी। इस रैली के पहले बंगाल बीजेपी के नेताओं ने ममता बनर्जी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी की तुलना बाघिनी से की है। कोलकाता में गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वह नारी नहीं, बाघिन हैं। बाघिन क्या महिला होती है? उत्तर प्रदेश जाने पर इस बार जेंडर भी बदल गया है।
दिलीप घोष से बनारस में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को काला झंडा दिखाने के संबंध में पूछे जाने पर दिलीप घोष ने कहा कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और राज्यपाल को काला झंडा दिखाया था। अब यह समझेंगे कि काला झंडा दिखाने पर कैसा लगता है।
वाराणसी में ममता बनर्जी को दिखाए गए काले झंडे
बता दें कि ममता बनर्जी पहले से घोषित कार्यक्रम के अनुसार बुधवार शाम वाराणसी पहुंची थीं। ममता बनर्जी को वहां बीजेपी के विरोध का सामना करना पड़ा था। भाजपा कार्यकर्ताओं के समर्थक काले झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन करते रहे। उनकी कार एयरपोर्ट से दशाश्वमेध घाट की ओर जा रही थी। घाट से कुछ ही दूरी पर भाजपा कार्यकर्ता खड़े हो गए, वे ममता बनर्जी के काफिले के सामने खड़े हो गए और विरोध करने लगे। वापस जाओ के नारे लगाने लगे। उस घटना के विरोध में तृणमूल कांग्रेस का आज राज्य में विरोध कार्यक्रम है।
दिलीप घोष ने साजिश रचने का लगाया आरोप
तृणमूल को उत्तर बंगाल में सीटें मिलने के बारे में दिलीप ने कहा,”बीजेपी कहीं नहीं थी। पिछली लोकसभा विधानसभा में आई थी। वे क्यों नहीं आ सके। उत्तर बंगाल के लोगों को हिंसा की राजनीति कभी पसंद नहीं आती। उत्तर बंगाल के लोग दक्षिण बंगाल के लोग इस तरह की राजनीति नहीं चाहते हैं। पुलिस के बल पर नगरपालिका जीत गई है। निष्पक्ष मतदान नहीं हुए हैं, इस राजनीति से शायद बंगाल पर कब्जा किया जा सकता है। बंगाल का कभी विकास नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा कि उपचुनावों में वामपंथी पार्टियों का बंगाल में दूसरे स्थान पर आना वास्तव में टीएमसी की चाल है। दिलीप घोष के मुताबिक इसके पीछे राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा, ”पहले वामपंथियों के कब्जे में नगरपालिका बहुत थी। इस बार के चुनाव में लेफ्ट दूसरे नंबर पर था। नैतिक रूप से भाजपा की जीत हुई है।”


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