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दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना भारत, चीन को छोड़ा पीछे जानें कितनी है जनसंख्या?

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नई दिल्ली। सदियों से दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन अब इस मामले में पिछे होता दिखाई दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है और वह चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ‘डैशबोर्ड’ (मंच) के अनुसार, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है।
इस साल की शुरूआत में ही ग्लोबल एक्सपर्ट्स के अनुमान के अनुसार, 2023 में सबसे ज्यादा आबादी भारत की होगी, और अब इस पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के नवीनतम आंकड़ों ने मुहर लगा दी है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएनएफपीए) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। भारत में अब चीन की तुलना में 20 लाख से ज्यादा लोग हैं, और इस देश की आबादी 140 करोड़ के पार पहुंच गई है। और वहीं चीन में बच्चे पैदा करने की दर कम हुई है।
यूएनएफपीएकी ‘द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2023’, जिसे ‘8 बिलियन लाइव्स, इनफिनिट पॉसिबिलिटीज: द केस फॉर राइट्स एंड चॉइस’ के टाइटल से जारी किया गया है, उसमें बताया गया है कि अब भारत की जनसंख्या 1,428.6 मिलियन है, जबकि चीन की जनसंख्या 1,425.7 मिलियन है। यानी दोनों की जनसंख्या में 2.9 मिलियन का अंतर है। रिपोर्ट में ताजा आंकड़े ‘डेमोग्राफिक इंडिकेटर्स’ की कैटेगरी में दिए गए हैं।
दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा आबादी अमेरिका में
340 मिलियन की अनुमानित आबादी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका तीसरे स्थान पर है। हालांकि भारत और चीन की तुलना में अमेरिका की जनसंख्या बहुत कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा में फरवरी 2023 तक उपलब्ध जानकारी को शामिल किया गया है।
भारत और चीन में कुल मिलाकर 8.045 बिलियन यानी दुनिया की कुल आबादी का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा है, लेकिन दोनों एशियाई दोनों में जनसंख्या वृद्धि धीमी हुई है। चीन में तो भारत की तुलना में ऐसा ज्यादा हुआ है।। पिछले साल छह दशकों में पहली बार चीन की आबादी में कमी दर्ज की गई थी।
भारत में सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 2011 के बाद से औसतन 1.2% रही है, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों में यह 1.7% थी। यूएनएफपीए इंडिया की प्रतिनिधि एंड्रिया वोजनार के मुताबिक, सर्वे के निष्कर्ष बताते हैं कि जनसंख्या की चिंता आम जनता के बड़े हिस्से में फैल गई है। लोग चाहते हैं कि जनसंख्या कंट्रोल हो।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या को चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए या अलार्म नहीं बनाना चाहिए। इसके बजाय, इसे प्रगति, विकास और आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए।


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