Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

दुर्लभ प्रजाति के मोहन कछुए की मौत से हड़कंप, शिवदिघी के अस्तित्व पर सवाल

- Sponsored -

- Sponsored -


कूचबिहार। एक बार फिर बानेश्वर के शिवदिघी में मोहन कछुए की मौत से पूरे इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, मोहन रक्षा समिति की शिकायत है कि प्रशासन की उदासीनता के कारण एक के बाद एक मोहन कछुओं की मौत हो रही है। पिछले एक महीने में कई मोहन कछुओं की मृत्यु और कई कछुओं के बीमार पड़ने के कारण, आम लोगों ने बानेश्वर के शिवदिघी के मोहन के अस्तित्व पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। बानेश्वर का शिवदिघी उत्तर बंगाल के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के तालाब में कछुए की एक दुर्लभ प्रजाति है, जिसे मोहन के नाम से जाना जाता है। इस आकर्षण की धार्मिक भावना इस मंदिर के इतिहास से जुड़ी हुई है। इसके दर्शन के लिए देश-विदेश से हर साल कई श्रद्धालु और पर्यटक इस मंदिर में आते हैं। लेकिन अज्ञात कारणों से मोहन की एक के बाद एक मौत हो रही है। इस आकर्षण की रक्षा के लिए स्थानीय स्तर पर मोहन रक्षा समिति का गठन बहुत पहले किया गया था।
मोहन रक्षा समिति का दावा है कि इस तालाब के आकर्षण और अस्तित्व के लिए मौजूद पर्यावरण को नष्ट कर दिया गया है। यहां कुत्तों के भोजन की भी कमी है। सर्दी के मौसम में भोजन की कमी के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो गई है। वहीं शिवदिघी के तालाब में मोहन कछुए धूप में तप नहीं पा रहे हैं। ऐसी कई समस्याएं हैं जिससे मोहन एक के बाद एक मर रहे हैं। उन्हें डर है कि अगले कुछ दिनों में कई और मोहन मर सकते हैं। वर्तमान में यह तालाब देवत्र न्यास बोर्ड के अधीन है। वे कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। देवत्र न्यास बोर्ड अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए सारी जिम्मेदारी वन विभाग के कंधों पर डालने की कोशिश कर रहा है। मोहन रक्षा समिति के अध्यक्ष परिमल बर्मन ने कहा कि बानेश्वर की शिवदिघी कभी पंचायत समिति के अधीन थी, उस समय मोहन की देखरेख पंचायत समिति करती थी। लेकिन बाद में इस शिवदिघी को देवत्र ट्रस्ट बोर्ड को सौंप दिया गया। लेकिन मोहन की मौत की घटना के बाद से देवत्र ट्रस्ट बोर्ड अभी भी उदासीन है। वह कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मोहन (कछुआ) की यह दुर्लभ प्रजाति वन विभाग की संपत्ति है, इसलिए वे सारा दोष वन विभाग पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं वन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.