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देशभर में एसआईआर : चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली। पूरे भारत में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर कराने का फैसला चुनाव आयोग ने लिया है। अब इस फैसले के खिलाफ आवाजें भी उठने लगी हैं। यही नहीं मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।. . .

नई दिल्ली। पूरे भारत में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर कराने का फैसला चुनाव आयोग ने लिया है। अब इस फैसले के खिलाफ आवाजें भी उठने लगी हैं। यही नहीं मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। देशभर में एसआईआर कराने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 नवंबर को सर्वोच्च अदालत में सुनवाई होगी। शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के संबंध में सहमति जताई है।

प्रशांत भूषण ने उठाया मुद्दा

गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मुद्दा लोकतंत्र की जड़ों तक जाता है। इसी के बाद जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि वह 11 नवंबर से इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। पीठ ने कहा कि हालांकि 11 नवंबर से कई महत्वपूर्ण मामले सूचीबद्ध हैं, फिर भी वह एसआईआर मामलों की सुनवाई के लिए अन्य मामलों की सुनवाई को समायोजित करने का प्रयास करेगी।

तत्काल सुनवाई के शीर्ष कोर्ट तैयार

प्रशांत भूषण ने कहा कि मामले की तत्काल सुनवाई इसलिए आवश्यक है क्योंकि विभिन्न राज्यों में एसआईआर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शीर्ष अदालत बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण करने के निर्वाचन आयोग के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पहले से ही सुनवाई कर रही है। निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद को ‘सटीक’ बताते हुए न्यायालय से 16 अक्टूबर को कहा था कि याचिकाकर्ता राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन इस प्रक्रिया को केवल बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाकर संतुष्ट हैं।

11 नवंबर की तारीख तय

आयोग ने न्यायालय से यह भी कहा था कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद से नाम हटाने के खिलाफ किसी मतदाता ने एक भी अपील दायर नहीं की है। उसने याचिकाकर्ताओं के इस आरोप का खंडन किया था कि महीनों तक चली एसआईआर प्रक्रिया के बाद तैयार की गई राज्य की अंतिम मतदाता सूची में ‘मुसलमानों को अनुपातहीन तरीके से बाहर’ किया गया।
निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करते हुए कहा था कि इसमें मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है जो निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले 7.89 करोड़ थी।

अंतिम संख्या हालांकि एक अगस्त को जारी की गई मसौदा सूची में दर्ज 7.24 करोड़ मतदाताओं से 17.87 लाख अधिक है। मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं के दोहराव सहित विभिन्न कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मूल सूची से हटा दिए गए थे।
मसौदा सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए जबकि 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए जिससे कुल मतदाताओं की संख्या में 17.87 लाख की वृद्धि हुई है। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीट पर पहले चरण का चुनाव बृहस्पतिवार को हो गया, जबकि शेष 122 निर्वाचन क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान होगा। मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।

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