देश भर में आज हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है होली का त्योहार, खुशी में झूम रहे लोग, देश के लालों ने भी उड़ाया रंग-गुलाल
यूनिवर्स टीवी डेस्क। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन हर साल होलिका दहन होता है। इस बार यह तिथि 7 मार्च यानी आज है, होलिका दहन के अगले दिन होली खेली जा रही है। देश के कोने-कोने में रंगों के इस त्योहार को बड़े ही जश्न के साथ मनाया जा रहा है। होली एकता और सौहार्द का त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है, जिसे अलग-अलग शहरों में अनोखे अंदाज में सेलिब्रेट किया जाता है। होली के उत्सव पर भारत में मौजूद विदेशी पर्यटन भी इस त्योहार में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। मथुरा और वृंदावन में तो विदेशी धूमधाम से होली खेलते हैं। मथुरा की तरह ही उत्तराखंड में भी कई दिन पहले से होली की शुरुआत हो जाती है।
दुनिया भर में मनाए जाने वाले होली के त्यौहार की शुरूआत धार्मिक नगरी उज्जैन से हो गई है। यहां सबसे पहले होली के त्यौहार की शुरूआत विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से हुई। बाबा महाकाल के दरबार में होली का उत्सव आज (मंगलवार) धूमधाम से मनाया गया। सुबह चार बजे भस्मारती में पण्डे पुजारियों ने बाबा महाकाल के साथ होली खेली। यहां सभी ने बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर, हर्बल गुलाल और फूलों के साथ होली मनाई। इस दौरान बाबा महाकाल का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया।
भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया
रंगो के त्यौहार होली की शुरूआत सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार से हो गई है। यहां परंपरा अनुसार भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया। पण्डे पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर, हर्बल गुलाल और फूलों के साथ होली खेली। बाबा महाकाल के दरबार में मनाई जाने वाली होली देश भर में प्रसिद्ध है इसीलिए आज देश के कोने-कोने से कई भक्त उज्जैन में मनाई जाने वाली इस होली को देखने के लिए मंदिर पहुंचे थे।
महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरू ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में ही भस्म आरती की परंपरा है। रोजाना सुबह चार बजे बाबा महाकाल को भस्म आरती के बाद ही मंदिर में परंपरा अनुसार हर पर्व मनाया जाता है। आज सुबह भी मंदिर में भस्म आरती के दौरान तड़के चार बजे मंदिर के कपाट खोले गए। भगवान महाकाल को जल से स्नान, करवाने के बाद दूध, दही, घी, शहद, फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन करवाया गया। बाबा महाकाल के विशेष पूजन अर्चन व आरती के बाद बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाकर होली पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान पंडित और पुजारियों ने जहां बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल अर्पित किया। वहीं, एक दूसरे को रंग लगाकर भी यह उत्सव मनाया। बाबा महाकाल को हर्बल गुलाल लगाने के बाद पंडित और पुजारीगणों ने भक्तों के साथ भी जमकर होली खेली उन्होंने भक्तों पर गुलाल और फूल बरसाए, जिससे बाबा महाकाल का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया।
जवान भी होली मना रहे है
इस बीच अपने देश का जवान भी होली मना रहे है। कल पुंछ निवासियों की सुरक्षा में रहेंगे, ताकि वह पूरे जोश से होली का त्योहार मना सकें। इसलिए, हम आज एक दिन पहले होली मना रहे हैं। यह कहना है पुंछ में कानून व्यवस्था बनाए रखने एवं लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात सीआरपीएफ के अधिकारियों जतिन्द्र कुमार और बलवान सिंह का। वे सोमवार को नगर स्थित वाहिनी मुख्यालय में जवानों के साथ होली मना रहे थे।
उनका कहना था कि वैसे तो उनकी ड्यूटी 24 घंटे सातों दिन रहती है। परंतु उन्हें जब भी समय मिलता है तो वेे हर त्योहार जवानों के साथ मना लेते हैं, ताकि जवानों को घरों से दूर होने का एहसास न हो। मौके पर हर दिन अधिकारियों के सामने ड्यूटी के नियमों का पालन करते हुए सलामी ठोकने वाले जवान भी हाथों से अधिकारियों के चेहरों पर रंग लगाकर उनके गले मिलकर खुशी में झूम रहे थे। सोमवार सुबह 10 बजे नगर के मोहल्ला पुलिस लाइन स्थित सीआरपीएफ की 72वीं वाहिनी मुख्यालय पर होली समारोह का आयोजन किया गया।इसमें बड़ी संख्या में जवानों एवं अधिकारियों ने भाग लेते हुए सर्वप्रथम एक दूसरे के गुलाल लगाया, और गले लगाते हुए होली की बधाइयां दीं।
कुछ ही पलों के उपरांत होली की धूम नजर आने लगी। अधिकारियों और जवानों के चेहरे रंग बिरंगे रंगों से रंगे हुए दिखाई दे रहे थे। जवान और अधिकारियों के बीच की नियमों से बंधी दूरी को पाटकर एक साथ नाचते गाते होली मना रहे थे। घंटों तक गुलाल उड़ाने व नाचने के बाद सभी जलपान करते हुए गपशप करते नजर आए। सीआरपीएफ के स्थानीय कमांडेंट जतिन्द्र कुमार का कहना था कि होली ही एक ऐसा त्योहार है जो सभी लोगों को एक-दूसरे से घुलने मिलने का मौका देता है। जैसे एक चेहरे पर कई रंग लगे नजर आते हैं, वैसे ही लोग विभिन्न प्रांतों एवं विभिन्न समुदायों से आने के बाद भी एक हैं।
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